पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) ने कहा है कि केंद्र सरकार पर विपक्ष के द्वारा जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए जाने के बावजूद पार्टी उससे अलग हो गयी क्योंकि उसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और और सीबीआई (CBI) का डर नहीं है. बुधवार को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) ने पटना (Patna) में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि बीजेपी ने अरुणाचल प्रदेश में हमारे विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया था, जबकि विधायक वहां की सरकार का समर्थन कर रहे थे. ललन सिंह ने बीजेपी पर गठबंधन धर्म का पालन नहीं करने का आरोप लगाया.

यह पूछे जाने पर क्या बीजेपी से अलग होने से जेडीयू जांच एजेंसियों के माध्यम कथित राजनीतिक प्रतिशोध की चपेट में आ जाएगा, उन्होंने कहा कि वो (नरेंद्र मोदी सरकार) कई एजेंसियों को लगा दें, हम सीबीआई और ईडी से नहीं डरते. कंपनियां चलाने वालों को ही डर में जीने की जरूरत है. उन्होंने तंज भरे अंदाज में कहा कि हम जीवित रहने के लिए व्यक्तिगत आय के अन्य कानूनी स्रोतों के अलावा सांसदों या विधायकों के रूप में मिलने वाले वेतन पर निर्भर करते हैं.

ललन सिंह ने यह भी कहा कि बीजेपी के साथ संबंध तोड़ने के पार्टी के फैसले को उन सभी का समर्थन मिला जो मंगलवार की बैठक में शामिल नहीं हो सके थे, जैसे राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने मुझसे टेलीफोन पर बात की और कहा कि वो हमेशा नीतीश कुमार का समर्थन करेंगे.

जेडीयू प्रमुख ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि उसने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान के नेतृत्व वाली एलजेपी का इस्तेमाल कर हमारे उम्मीदवारों के खिलाफ अपने विद्रोहियों को खड़ा करवाया और चुनाव बाद उन्हें फिर से पार्टी में शामिल कर लिया. ललन सिंह ने इस आरोप को भी दोहराया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष आर.सी.पी सिंह बीजेपी के ‘एजेंट’ बन गए थे. हालांकि यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने जेडीयू को विभाजित (तोड़ने) करने की कोशिश की थी, उन्होंने कहा कि कोई भी हमारे बीच दरार पैदा नहीं कर सकता.

ललन सिंह ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा. उनके 30 से अधिक सांसद बिहार और पश्चिम बंगाल से सटे राज्यों से हैं. उन्होंने बीजेपी को यह भी याद दिलाया कि वो 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में केवल 53 सीटें ही जीत सकी थी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद रिकॉर्ड 42 रैलियां की थी।