एक समय था जब सोनालिका ट्रैक्टर्स के चेयरमैन लक्ष्मण दास मित्तल एलआईसी में बीमा एजेंट का काम करते थे। फिर कड़ी मेहनत करके वे फील्ड अफसर बने और इसके साथ ही लक्ष्मण दास मित्तल अलग-अलग राज्यों में नौकरी भी करी और नौकरी के दौरान साल 1966 में लक्ष्मण दास मित्तल ने बिजनेस करने का सोचा। और उस समय लक्ष्मण दास मित्तल ने एग्रीकल्चर मशीनें बनाने की शुरुवात कर दी।

इसके साथ-साथ वे नौकरी भी करते थे। और फिर साल 1990 में बतौर डिप्टी जोनल मैनेजर रिटायर हो गए थे। साल 1994 में उन्होंने ट्रैक्टर्स की मैन्यूफेक्चरिंग करने की शुरुवात कर दी। उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है। और इसके साथ ही लक्ष्मण दास मित्तल को प्रतिष्ठित उद्योग रत्न पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

आपको बता दे की लक्ष्मण दास मित्तल के 3 बेटे हैं, जिनमे से सबसे बड़े बेटे अमृत सागर कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट है, जबकि लक्ष्मण दास मित्तल के तीसरे बेटे दीपक मित्तल कंपनी के एमडी है। और लक्ष्मण दास मित्तल के दूसरे बेटे न्यूयॉर्क में डॉक्टर हैं, और लक्ष्मण दास मित्तल के दो पोते रमन और सुशांत डिजाइन, इंवेस्टर रिलेशन, मार्केटिंग, प्रोडक्ट और इंटरनेशनल बिजनेस को अच्छी तरह से संभालने का काम करते हैं।

जबकि लक्ष्मण दास मित्तल के एक और पोते राहुल अपने परिवार का रियल एस्टेट बिजनेस को सँभालते हैं। आपको यह भी बता दे की लक्ष्मण दास मित्तल की बेटी जिसका नाम उषा सांगवान वे एलआईसी की एमडी भी रह चुकी हैं। सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इसी कंपनी में पहले लक्ष्मण दास मित्तल एजेंट हुआ करते थे।

उन्होंने 1969 में सोनालिका ग्रुप की स्थापना करी थी, जो की दुनिया भर के लगभग 120 देशों में ट्रैक्टरों का निर्यात करता है। उस समय लक्ष्मण दास मित्तल ने कृषि उपकरण को तैयार करने के लिए इस कंपनी की शुरुवात करी थी। मगर फिर साल 1995 में लक्ष्मण दास मित्तल ने ट्रैक्टर को तैयार करने की शुरुवात कर दी। आज के समय में इंटरनेशनल ट्रैक्टर लिमिटेड भारत का तीसरा सबसे बड़ा ट्रेक्टर निर्माता बन चूका है।

लक्ष्मण दास मित्तल की इंटरनेशनल ट्रैक्टर लिमिटेड का उत्तर भारतीय राज्यों में बहुत ही बड़ा कारोबार है। हरियाणा, पंजाब, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में भी सोनालिका के ट्रैक्टर किसानों द्वारा बहुत ही ज्यादा पसंद करे जाते हैं। सोनालिका साल भर में लगभग 3 लाख से ज्यादा ट्रैक्टर को बनाती होती है। करीब 90 साल की उम्र में भी वे अपनी कंपनी संभालते हैं।