बिहार के लिए बड़ी खुशखबरी है. प्रदेश में मेगा टेक्सटाइल पार्क बनाने की तैयारी जोरशोर से चल रही है। टेक्सटाइल पार्क के बनने से बड़ी तादाद में रोजगार के मौके सृजित होने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि यह बिहार का सबसे बड़ा टेक्सटाइल पार्क होगा। इसके निर्माण से बिहार में उद्योग लगाने की मुहिम को भी प्रोत्साहन मिलने की संभावना है। मेगा टेक्सटाइल पार्क के लिए उत्तर प्रदेश की सीमा से लगते रतवल में 1700 एकड़ जमीन चिह्नित भी कर ली गई है। यह टेक्सटाइल पार्क देश के लिए भी अहम साबित होगा। बता दें कि लंबे समय से बिहार में उद्योग-धंधों को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। अब यह प्रयास धीरे-धीरे जमीन पर उतरने लगा है।

जानकारी के अनुसार, रतवल में बनने वाला यह पार्क बिहार का सबसे बड़ा टेक्सटाइल पार्क होगा। माना जा रहा है कि इस टेक्सटाइल पार्क के शुरू होने से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल सकेगा। DM कुंदन कुमार के दिशा-निर्देश पर इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए एसडीएम दीपक मिश्रा ने भी काम के क्रियान्वयन में तेजी लाई है। आलाधिकारियों ने डीसीएलआर और जल संसाधन विभाग के अभियंताओं के साथ स्थल निरीक्षण किया। एसडीएम ने बताया कि स्थानीय लोगों को रोजगार देने की दिशा में यह उल्लेखनीय और बड़ा कदम होगा।
जलजमाव की समस्या से निपटने की योजना :
टेक्सटाइल पार्क बनने में किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए विशेषज्ञों की टीम स्थल का लगातार निरीक्षण कर रही है। चिह्नित स्थलों पर बरसात के मौसम में भारी जलजमाव हो जाता है। इसका निदान निकालने के लिए एसडीएम ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ स्थल पर ही बैठक की और कई दिशा-निर्देश भी दिए जलजमाव के स्थिति से निपटने के लिए आगे की दिशा में कार्य किया जा रहा है, ताकि जल्द से जल्द मेगा टेक्सटाइल पार्क का निर्माण किया जा सके।
60 किलोमीटर की दूरी पर होगा कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा : प्रस्तावित टेक्सटाइल पार्क को हवाई मार्ग से भी जोड़ने की तैयारी की गई है। सीमावर्ती राज्य उत्तर प्रदेश के कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से प्रस्तावित जमीन की दूरी महज 60 किलोमीटर है। इससे देश-विदेश से हवाई संपर्क स्थापित किया जा सकेगा। साथ ही यूपी को बिहार से जोड़ने वाली मुख्य सड़क के किनारे की जमीन को प्रशासन ने इस औद्योगिक हब के लिए इस्तेमाल किया है।

कई विभागों से लिया जा रहा अनापत्ति प्रमाणपत्र
पार्क के लिए प्रस्तावित 1700 एकड़ जमीन से जुड़े हुए संबंधित विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी प्रशासन ले रहा है। प्रशासन का यह प्रयास है कि आने वाले दिनों में इस जमीन पर कोई पेच न फंसे। विशेष तौर पर जल संसाधन विभाग और वन विभाग से संबंधित भूखंड के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र की मांग की गई है।