बिहार में जल्द ही खनिज भंडार के क्षेत्र बड़ा होने वाला है. राज्य में बड़े पैमाने पर राजस्व बढ़ाने के लिए अगले साल से बड़े खनिज ब्लॉक में खुदाई का काम शुरू होने वाला है. जिसके तहत क्रोमियम, निकेल, पोटैशियम जैसे खनिजों की खुदाई होगी. जिससे राजस्व के साथ साथ हज़ारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा. अब तक बड़े खनिज भंडारों के खनन की कोई नियमावली बिहार में नहीं बनी हैं, सिर्फ छोटे खनिज भंडार की खुदाई को लेकर नियम बने हैं. हालांकि सरकार ने वृहद खनिज भंडार खनन नियमावली गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जानकारी के अनुसार पटना से करीब 150 किमी दूर रोहतास जिले में 25 वर्ग किलोमीटर में फैली पोटाश, औरंगाबाद के मदनपुर प्रखंड के करीब आठ किलोमीटर के दायरे में निकेल और क्रोमियम पाया गया है. इतने बड़े पैमाने पर खनिज पाया जाना बिहार के लिए किस्मत चमकने जैसी बात है.

हालांकि बिहार में अभी वृहद खनिज खनन नियमावली नहीं बनी है, जिसके कारण अब तक खुदाई की प्रकिया आरम्भ नहीं हो सकी है. इसलिए बिहार सरकार नियमावली तैयार करने की दिशा में काम कर रही है. जिसके तहत राज्य सरकार ने वृहद खनिज खनन नियमावली गठन का काम शुरू कर दिया है. नियमावली का प्रारूप तय होते ही इसे मुख्य सचिव इसे मंत्रिमंडल को विचार करने के लिए भेजेंगे, मंत्रिमंडल की अनुमति मिलने पर बड़े खनिज ब्लाक से सम्भवतः अगले साल से खुदाई का काम शुरू हो सकेगा.

जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस साल केंद्र सरकार ने बिहार को कई बड़े खनिज भंडार आवंटित किए हैं. इन खनिज भंडारों में क्रोमियम, निकेल, पोटैशियम की खानें हैं जिनका सर्वे चल रहा है. इसके पहले राज्य में जमुई में भी सोने का भंडार मिल चुका है, हालांकि इसके खुदाई की अनुमती अब तक सरकार को नहीं मिली है. खान एवं भू-तत्व विभाग के सूत्रों के अनुसार नियमावली की स्वीकृति के बाद अलग-अलग एजेंसियों का चयन कर उन्हें पट्टे देकर बड़े खनिज ब्लाक से खनन शुरू किया जाएगा. बताते चलें कि लघु खनन से बिहार को हर साल करीब 2400 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है. अगर वृहद खनिज खनन नियमावली प्रभावी हो जाती है तो सरकार को सालाना पांच हजार से सात हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है.