पश्चिम बंगाल की निशानेबाज मेहुली घोष ने साउथ कोरिया (Changwon) में जारी आईएसएसएफ विश्व कप के 10 मीटर एयर रायफल के मिक्स्ड इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर तिरंगा लहरा दिया। मेहुली की इस अभूतपूर्व सफलता पर पूरे परिवार के साथ मोहल्ले के लोग खुशी से फूले नहीं समा रहे। क्यूंकि मेहुली ने जो संघर्ष अपनी जिंदगी में किया आज यह जीत उसी का नतीजा है। तो आइये जानते है मेहुली के जमीन से आसमान छूने तक की दिलचस्प कहानी।

अभिनव बिंद्रा को देख राइफल उठाई!
मेहुली पश्चिम बंगाल के सिरमपुर की रहने वाली हैं। मेहुली बचपन में टीवी सीरियल सीआईडी और इंस्पेक्टर दया की फ़़ैन थीं। टीवी पर शोले फ़िल्म में जय-वीरू के निशानेबाज़ी वाले सीन भी मेहुली को खूब पंसद थे, मेहुली को यंही से बंदूक, पिस्टल और शूटिंग का शौक पैदा हुआ। और एक दिन ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा को स्वर्ण पदक जीते हुए देखा तो उन्होंने पिता से एक शूटिंग राइफल खरीद कर लाने की जिद कर डाली।
मेहुली के पिता आर्थिक रूप से उतने समर्थ नहीं थे कि वह बेटी के लिए महंगी राइफल खरीद कर लाते। लेकिन बेटी की जिद के आगे पिता को हार माननी पड़ी और उन्होंने रिश्तेदारों विशेष रुप से मेहुली की नानी और अपने दोस्तों से उधार लेकर बेटी के लिए एक राइफल खरीदी।

फ़ेडरेशन ने कर दिया था सस्पेंड, तो डिप्रेशन से लड़ी!
The Times of India के एक लेख के अनुसार मेहुली सिर्फ़ 15 साल की थी जब एक घटना ने उनकी ज़िन्दगी बदल दी। 2015 में पश्चिम बंगाल स्थित सेरामपुर राइफ़ल क्लब में ट्रेनिंग सेशन के दौरान मेहुली घोष ने एक शॉट मिसफ़ायर कर दिया और एक कर्मचारी को पैर में चोट लग गई। जिसके बाद मेहुली को फ़ेडरेशन ने सस्पेंड कर दिया।
नतीजन, सस्पेंड होने के बाद उनके पास कोई विकल्प नहीं था और उन्होंने अपना राइफ़ल पैक किया और खेल का मैदान छोड़ दिया। इसके बाद सालों तक मेहुली किसी प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले पाई। और इस घटना की वजह से बो डिप्रेशन में चली गई। इस घटना से मेहुली निकल नहीं पा रही थी, ऐसे बुरे बक्त में मेहुली को मिला अपनी माँ का साथ।
मेहुली मानसिक तौर पर अस्वस्थ हैं ये बात उनकी मां मिताली समझ गई। और उसके बाद मिताली ने मेंटल हेल्थ कोच मृणाल चक्रवर्ती से संपर्क किया और मेहुली का इलाज शुरू हुआ। माँ ने इस बारे में बताया कि ‘एक दुर्घटना की वजह से मैं उसका पूरा करियर बर्बाद होते नहीं देख सकती थी, उसको फिर से खड़ा होना था और इसके लिए जरूरी था उसका मेंटली स्टैब्लिश होना।”

ऐसे में मेहुली अपनी मां से सबकुछ शेयर करती थी और मां ने भी हर हाल में अपनी बेटी की मदद करने का निश्चय किया। अन्तः कुछ समय लगा लेकिन मेहुली के मजबूत इरादों के सामने परेशानियां ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई और मेहुली ने राइफल उठाकर फिर से मैदान पर बापसी की।
शूटिंग वर्ल्ड कप में लहराया भारत का परचम!
मेहुली की मेहनत रंग लाई और वह नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड जीतने में कामयाब रहीं। जिसके बाद उनके परिवार में ख़ुशी का माहौल छा गया। माता-पिता और परिजनों को विश्वास है कि हुगली की बेटी ओलंपिक चैम्पियन अभिनव बिंद्रा की तरह एक दिन स्वर्ण पदक जीतकर बंगाल और देश का नाम रोशन करने में जरूर कामयाब होगी।
मेहुली के पिता ने बताया कि ओलंपिक की तैयारी के लिए मेहुली सीधे घर ना आकर हैदराबाद में प्रशिक्षण केंद्र जाएगी। जीत के बेटी के घर ना आने का मलाल तो माता-पिता को है लेकिन इस बात का फक्र है कि उनकी बेटी अपने सपने को पूरा करने एवं देश का नाम रोशन करने के लिए आगे की तैयारियों में जुटने जा रही है।