पश्चिम चम्पारण. बाबुवा बड़का परीक्षा पास करले बाड़न, अब बड़का अफसर बन जइयन. ये अल्फाज उस मां के हैं जिसने खेतों में बकरी चराकर और सिर पर घास के बोझा रखकर अपने बेटों को संभाला. पिता ने दर-दर घूमकर लकड़ियों पर आरी चलाकर अपने हाथों की लकीरों को घिसा, लेकिन अपने बेटे के हौसलों को कभी टूटने नहीं दिया. जी हां! पेशे से बढ़ई कन्हैया साह के बड़े बेटे जयप्रकाश ने यूपीएससी के तहत होने वाले इंडियन स्टैटिकल सर्विस (ISS) की परीक्षा में ऑल इंडिया स्तर पर 27वां स्थान प्राप्त किया है.

29 अभ्यर्थियों का हुआ है चयन
मझौलिया प्रखंड के जौकटिया पंचायत के वार्ड-6 निवासी कन्हैया साह पेशे से बढ़ई हैं. उनके 26 वर्षीय पुत्र जयप्रकाश साह ने देश के सबसे कठिन और बड़े एक्जाम में से एक यूपीएससी के तहत आईएसएस की परीक्षा को पास किया है. बता दें कि आईएसएस में पूरे भारत से कुल 29 कैंडिडेट्स का सलेक्शन हुआ है. जिसमें जयप्रकाश ने 27 वां स्थान प्राप्त किया है. एक अनुमान के मुताबिक जयप्रकाश ने बताया कि दो वर्षों की ट्रेनिंग के बाद उन्हें किसी न किसी मिनिस्ट्री में पदभार सौंप दिया जाएगा.
4 वर्षों से नहीं आए हैं घर
वर्ष 2012 में गांव से ही मैट्रिक की परीक्षा पास कर जयप्रकाश ने पटना साइंस कॉलेज में दाखिला ले लिया. वहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से MAC पूरा किया. इस समय तक उन्होंने पिता से आर्थिक मदद ली. लेकिन MAC की डिग्री पूरी करने के बाद उन्होंने एक कंपनी के लिए फ्रीलांसिंग शुरू की और पढ़ाई के साथ-साथ अपना खर्चा भी निकाल लिया.
सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने शुरू से सिर्फ एक ही टारगेट रखा. 3 बार ISS के एग्जाम में बैठने के बाद उन्होंने आखिरकार इसे क्रैक कर ही लिया. गौरतलब है कि बीते 4 वर्षों से वे अपने घर नहीं आए हैं, क्योंकि उन्होंने यह ठान लिया था कि अब सरकारी अफसर बनकर ही गांव जाना है. अब आलम ऐसा है कि परिवार तो परिवार, पूरे गांव में खुशी का माहौल है.
आर्थिक तंगी से जूझ हासिल की सफलता
दरअसल, जयप्रकाश के पिता कन्हैया साह पेशे से छोटे स्तर के बढ़ई हैं, जो अधिकांधतः दूसरे राज्य में रहकर मजदूरी करते हैं. वर्तमान में वे उत्तराखंड के नैनीताल में मजदूरी कर रहे हैं. जयप्रकाश की मां गायत्री देवी एक जुझारू गृहिणी हैं, जो परिवार के पालन पोषण हेतु पति का भार कम करने के लिए खेतों में बकरी भी चराती हैं और परिवार की देखरेख करती हैं.
जयप्रकाश के दो छोटे भाई हैं, जो गांव में ही रहकर अपनी पढ़ाई करते हैं. मीडिया ने जब जयप्रकाश की मां से बात की तो उनका एक ही कहना था कि उन्हें ज्यादा कुछ तो नहीं पता, लेकिन वह कहती हैं कि ‘बबुवा बड़का परीक्षा पास करले बाड़न, अब बड़का अफसर बन जइयन.’