सिमरन नौरीन उन चंद लोगों में से एक है जो गरीबी को हराकर जीतने में भरोसा करते हैं। सिमरन अपनी सफलता के लिए गरीबी से भिड़ गई, और परिवार का नाम रौशन किया। सिमरन के पिता जशीम अख्तर हाट बाजार में फुटपाथ पर टोपी बेचते हैं। टोपी बेचकर पिता ने बेटी को पढ़ाया और बेटी ने भी पूरी शिद्दत से पढ़ाई की और 12वीं में 96.6 फीसदी अंक लाकर सफलता हासिल की।

सिमरन कॉन्वेंट गर्ल्स स्कूल, रांची में 12वीं साइंस की स्टूडेंट हैं। उन्होंने 500 में से 478 अंक लाकर रांची जिले में पहला स्थान प्राप्त किया है। वहीं पूरे राज्य में सिमरन ने पांचवा स्थान हासिल किया है। रिजल्ट जारी होने के बाद सिमरन अपनी मां के साथ स्कूल पहुंची और रिजल्ट देखने के बाद उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खास बात तो ये है कि सिमरन ने 10वीं की परीक्षा में भी टॉप किया था।

बता दें कि आर्थिक तंगी की वजह से सिमरन सीबीएसई स्कूल में दाखिला नहीं ले पाई। और प्राइवेट स्कूल में एडमिशन लिया। क्योंकि पिता अपनी कमाई से इतने महंगे स्कूल के फीस भर पाने में सक्षम नहीं थे। बेटी ने अपना मन मारा और स्कूल उर्सलाइन स्कूल में ही पूरी पढ़ाई की। माता-पिता को गरीबी से जूझते हुए देखा तो इससे निकलने की जिद ठान ली। गरीबी ने सिमरन के दिमाग में इतना गहरा असर डाला कि वह परिवार को आर्थिक स्थिति से बाहर निकाले में जूझ गई।

मां इशरत ने बताया कि कोरोना काल में जब हाट बाजार लगना बंद हुए तो परिवार की स्थिति और अधिक बिगड़ गई। दो वक्त की रोटी के लिए जूझना पड़ा। कठिन परिस्थिति से गुजरते हुए पिता ने जैसे-तैसे पढ़ाई का खर्च निकाला। बेटी ने जीतोड़ मेहनत की और अपनी मेहनत और प्रतिभा से परिवार का नाम रौशन किया।