माता-पिता त्याग की वह प्रतिमूर्ति होते हैं जिनकी जगह इस दुनिया का कोई रिश्ता नहीं ले सकता। बचपन से लेकर वे अपने बच्चों के लिए कई तरह की जहमतें उठाते हैं और उनकी खुशी के लिए उफ्फ तक नहीं करते। हर मां-बाप का यह सपना होता है कि उनके बच्चे सफलता के शिखर तक पहुंचे। आज की यह कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। एक पिता जो अपने बेटे को सरकारी अफसर बनने का सपना देखा और उनके पुत्र ने विषम परिस्थितियों से लङते हुए IAS अधिकारी बनकर उनके सपनों को पूरा किया।
आईए जानते हैं उनके बारे में…
सूर्यकांत द्विवेदी (Suryakant Dwivedi) उत्तरप्रदेश (Utter Pradesh) के राय बरेली जिले के रहने वाले हैं। वे लखनऊ विश्वविद्यालय में बतौर सिक्योरिटी गार्ड का कार्य किया करते थे। उनके बेटे का नाम कुलदीप द्विवेदी (Kuldeep Dwivedi) है। सूर्यकांत शुरू से हीं अपने बेटे को अफसर बनते हुए देखना चाहते थे और वे इस बारे में दुसरे लोगों को बताया भी करते कि उनका बेटा भी एक दिन सरकारी अफसर बनेगा। एक गार्ड की बेहद छोटी सी नौकरी करते हुए उन्होंने अपने बेटे को अफसर बनाने के लिए खूब प्रयास किए।

कुलदीप द्विवेदी (Kuldeep Dwivedi) के पिता जी लखनऊ विश्वविद्यालय में सिक्योरिटी गार्ड थे। जिस समय उन्होंने यह नौकरी ज्वाइन की थी उस समय उनकी मासिक आमदनी 1100 रुपये थी। उनके परिवार में 6 सदस्य थे। पूरे परिवार का भरण-पोषण कुलदीप को हीं करना होता था। कम तनख्वाह होने के कारण पूरे परिवार का खर्च चलना मुश्किल था इसलिए सूर्यकांत अपने गार्ड की ड्यूटी से समय निकाल कर खेती का कार्य करने लगे। सूर्यकांत द्विवेदी की अधिक शिक्षित नहीं थे, इसलिए शिक्षा के अभाव में उन्हें कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती थी। शिक्षा का अभाव में परेशानियों का सामना करने के कारण वे शिक्षा के महत्व को अच्छी तरह से समझते थे।

सूर्यकांत द्विवेदी को सबसे ज्यादा खुशी और गर्व उस समय महसूस हुआ जब उनका छोटा बेटा कुलदीप द्विवेदी सरकारी ऑफिसर बने। कुलदीप की प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से पूरी हुईं। उच्च शिक्षा की पढाई पूरी करने के बाद कुलदीप ने 2009 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हिन्दी विषय में B.A की डिग्री प्राप्त किए। उसके बाद उसी यूनिवर्सिटी से उन्होंने Geography (भूगोल) से M.A की उपाधि हासिल किया। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने UPSC की तैयारी करने के लिए दिल्ली चले गए।

चूंकि कुलदीप द्विवेदी के घर की आर्थिक हालात मजबूत नहीं था इसलिए घर से उन्हें कम पैसे मिलते थे। उनके पास पढ़ाई करने के लिए किताब खरीदने के पैसे भी नहीं होते थे इसलिए वे दोस्तों से किताब मांग कर पढ़ाई किया करते थे।
तैयारी के पश्चात् जब कुलदीप द्विवेदी जब पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दिए तो वह असफल रहे। वे यूपीएससी के प्रिलिम्स की परीक्षा भी पास नहीं कर सके। इस विफलता से बिना डिगे वे दुबारा तैयारी में जुट गए पर इस बार भी उन्हें असफलता हीं साथ लगी। इस बार वे प्रिलिम्स में तो पास हुए लेकिन मेन्स की परीक्षा में असफल रहें। लगातार 2 बार असफल होने के कारण उनका 2 साल का समय ऐसे ही गुजर गया। घर की आर्थिक हालत कमजोर होने की वजह से 2 साल का समय बहुत ज्यादा था।

कुलदीप ने फिर से हार नहीं मानी और अपनी मेहनत को जारी रखा। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और वे 2105 में यूपीएससी की परीक्षा में सफल हुए। वे UPSC में 242वां रैंक हासिल कर अपने माता-पिता का सपना पूरा किया। यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद उन्होंने इंडियन रेवेन्यू सर्विस का चयन किया। IAS अधिकारी बनने के साथ हीं अपने पिता के सपने को साकार करने के साथ वे गरीब और असुविधा में रह रहे उन बच्चों के लिए प्रेरणा कायम किए जो यूपीएससी निकालने का सपना देखते हैं।