देश में किसानों की स्थिति में अब तक भी कोई खास सकारात्मक बादलाव दिखाई नहीं दिया है। देश के तमाम हिस्सों में परंपरागत खेती को ही अपना व्यवसाय बना लेते हैं, जबकि सूखा और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ उनके लिए कठिनाई खड़ी करती ही रहती हैं। फिर भी किसान हार नही मानता और अपनी खेती को उपजाऊ बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास करता है। इन सब को देखते हुये बिहार के एक किसान ने किसानी को लेकर अपने नज़रिये और कोशिशों से देश भर के अन्य किसानों के लिए उन्नति की दिशा में एक मिसाल पैदा कर दी है।

उस किसान का नाम है, सुधांशु कुमार, जो बिहार के समस्तीपुर स्थित नयानगर गाँव के निवासी हैं। आज सुधांशु कुमार (Sudhanshu Kumar) अपनी 70 बीघे जमीन में आधुनिक खेती (Modern Farming) कर हर साल 80 लाख रुपये से अधिक की कमाई कर लोगो के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन रहे हैं। सुधांशु के पिता ने उनके इस फैसले से नाराजगी जताते हुए उन्हें खेती के लिए 5 एकड़ बंजर जमीन दे दी थी, लेकिन सुधांशु ने वैज्ञानिक तकनीकों के माध्यम से जल्द ही जमीन के उस टुकड़े को खेती करने लायक उपजाऊ जमीन में बदलकर उस खेत की किस्मत ही बदल डाली। सुधांशु साल 1990 से खेती कर रहे है।


सुधांशु (Farmer Sudhanshu Kumar) का मानना हैं कि हर किसान को बागवानी की जानकारी एकत्रित करनी चाहिए। उनका कहना हैं की किसानों की जमीन का कम से कम एक-तिहाई भाग बागवानी के लिए होना आवश्यक है, जो उनकी आय बढ़ाने में उनकी सहायता करता है। किसानों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का मुनाफा उठाना चाहिये और कृषि के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे कम समय मे अधिक पेदाबार कर अपनी आय को बड़ा सकते है।

सुधांशु को खेतों की कम देख-रेख और कम श्रमिकों की आवश्यकता होती है। वह खेती के लिए टेक्नोलॉजी (Technology For Farming) का इस्तेमाल कर रहे हैं। खेती के जरिये वह लाखों की कमाई कर, गुणवत्ता से भरपूर उत्पादन करने में सफल साबित हो रहे है। अपने 60 एकड़ के खेत में, उन्होंने अमरूद, जामुन, लीची, आम, केला, ब्राजील के मौसम्बी और ड्रैगन फ्रूट कमलम के 28 हजार पेड़ लगाए हुए हैं। जिससे उन्हें सालाना 80 लाख रुपये का मुनाफा प्राप्त होता है।

कमाल किया आधुनिक तकनीक ने
सुधांशु अपनी खेती में सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन और माइक्रो स्प्रिंकलर तकनीक का उपयोग करते हैं। इस तकनीक की सहायता से सुधांशु अपने लीची के बागान का तापमान एक समान रख पाने में सफल साबित हो सके हैं।
“When I began using micro-#irrigation my main aim was to increase productivity. I not only did that but I ended up using 25% of my previous amount of water” Sudhanshu Kumar #farmer, #India @FAO Webinar “#Water #productivity improvements – A silver bullet for the #climate crisis?” pic.twitter.com/9hzpK1GxGI
— FAO Land and Water (@FAOLandWater) July 14, 2020
खेत की निगरानी और खेत में खाद व अन्य आवश्यकता को नजर अंदाज किये बिना सुधांशु ने अपने खेत के तमाम हिस्सों को वायरलेस इंटरनेट ब्रॉडबैंड के माध्यम से जोड़ा हुआ है, जिससे वे एक ही स्थान पर बैठे कर अपने पूरे खेत की स्थिति पर लगातार नज़र बनाए रख सकते हैं।

अच्छी कमाई का रास्ता
हर साल 80 लाख रुपये की कमाई करने वाले सुधांशु कुमार के मुताबिक बड़ी कमाई के रूप में उन्हें आम से 13 लाख रुपये और लीची से 22 लाख रुपये हासिल हुए हैं, जबकि इसी साल छठ पूजा से पहले उन्होने केले की बिक्री कर 35 लाख रुपये की कमाई कर अपना रिकॉर्ड बनाया था। फलों से होने वाली इस भरपूर कमाई के साथ ही सुधांशु खास ‘कड़कनाथ’ मुर्गे (Kadaknath Chicken) का भी पालन करने में पीछे नही है। गौरतलब है कि मुर्गे की इस प्रजाति की कीमत आम मुर्गों की अपेक्षा अधिक होती है।

वैसे कड़कनाथ मुर्गे मूल रूप से मध्य प्रदेश के झाबुआ में होने हैं। हालाँकि अब बाकि रजो और जिलों में लोग कड़कनाथ मुर्गे का पालन करने लगे हैं। भारत सरकार और जानकार इन कड़कनाथ मुर्गों में कई मेडिकल प्रॉपर्टी होने की बात करते हैं।
#LivestockWealth 🐔
— Dept of Animal Husbandry & Dairying, Min of FAH&D (@Dept_of_AHD) December 10, 2021
Native to Jhabua, Madhya Pradesh, Kadaknath chicken is believed to have medicinal properties & contains 25-27% protein along with low cholesterol (0.73-1.03 %) content!#AmritMahotsav #AnimalHealth #AnimalWealth pic.twitter.com/ZFuK0Xrjk4
खेत में खोले गए पॉल्ट्री फार्म (Poultry Farm) में सुधांशु ने इस प्रजाति के 500 चूजों के साथ अपना कारोबार प्रारंभ किया है। इसी के साथ वे तमाम नस्ल की गायों के साथ अब डेयरी लेकर भी आगे बढ़ने की ओर अग्रसर हो रहे है।