भागलपुर : पंछी, नदियां और पवन के झोंके के लिए कोई सरहद नहीं होता, ऐसा माना जाता है। पंछियों के लिए उन्मुक्त वातावरण जब हो तो वह कहीं भी घूमते हैं। ऐसे ही अगर गंगा नदी का पानी साफ हो तो वहां डॉल्फिनों के रहने का उन्मुक्त वातावरण उन्हें मिलता है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बिहार में गंगा अब धीरे धीरे साफ हो रही है यही वजह है कि भागलपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों में डॉल्फिनों की संख्या बढ़ गई है।
डॉल्फिनों के बारे में कहा गया है कि अगर उन्हें साफ पानी और वातावरण मिलता है तो उनके प्रजनन करने के लिए वह बहुत ही सुरक्षित जगह होता है। लंबे समय के बाद बिहार के भागलपुर जिला के अंतर्गत कहलगांव से सुल्तानगंज तक के गंगा अभ्यारण में डॉल्फिनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इससे डॉल्फिन समितियों के कार्य मिलते अधिकारी और गर्मी इन दिनों बहुत खुश हैं।

188 से बढ़कर 208 हुई डॉल्फिनों की संख्या
वन प्रमंडल के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संजीत कुमार बताते हैं कि गंगा अभ्यारण क्षेत्र में 2022 से पहले डॉल्फिनों की संख्या 188 थी जो अब बढ़कर 208 हो गई है। उन्होंने यह भी बताया कि यह सर्वे वर्ल्ड लाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट की टीम में जनवरी से जून 2022 तक सुल्तानगंज के कहलगांव अभ्यारण स्थली में किया गया था। इस सर्वे में डॉल्फिन की बढ़ी हुई संख्या का पता चला और डॉ संजीत ने बताया कि डॉल्फिनों की बढ़ी हुई संख्या जल पर्यावरण के शुभ संकेत के रूप में देखा जा रहा है और हम लोग इससे बहुत खुश हैं।

गंगा अभ्यारण में लगातार की जाती है पेट्रोलिंग
वन प्रमंडल के डीएफओ भरत चिंतापल्ली ने बताया कि सुल्तानगंज से कहलगांव के बीच डॉल्फिनों के लिए सबसे सुरक्षित जगह सुनिश्चित करने के लिए लगातार पेट्रोलिंग की जाती है और इन क्षेत्रों से अब तक 3000 किलो अवैध जाल प्राप्त किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि डॉल्फिनों के लिए यह जगह सुरक्षित हो इसके लिए लगातार प्रयास किए जाते रहते हैं। उन्होंने यह भी अनुमान लगाया कि आगे आने वाले दिनों में दर्जनों की संख्या में लगातार वृद्धि होने की संभावना है।