अगर बेटा सफल होता है तो पिता से ज्यादा कोई और खुश नहीं होता है. ये कहानी है पूर्णिया के केनगर प्रखंड के बसहा गांव की. यहां एक किसान का बेटा एमबीएसएस की पढ़ाई पूरी कर गांव लौटा तो जश्न का दौर शुरू हो गया. पूरा गांव उन्हें बधाई देने के लिए पहुंच रहा है. दरअसल इस कामयाबी के पीछे एक पिता की संघर्ष की कहानी भी है. डॉक्टर जवाहर कुमार यादव के पिता रामानंद यादव ने कहा कि उनके द्वारा की गई मेहनत सफल हो गई.

उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने लिखाने के लिए दिन रात मेहनत और मजदूरी की. पैसे जुटाने के लिए उन्होंने  दूसरों का ट्रैक्टर चलाया. साथ ही वो भाड़े पर पंपिंग सेट भी चलाते थे. और फिर घंटों मेहनत कर पाई-पाई जोड़ कर बेटे को पढ़ाया. आज उनका बेटा MBBS की पढ़ाई पूरी कर वापस गांव लौटा है. जिससे पूरे गांव के लोग उनकी सफलता पर बधाई देने आ रहे हैं.

अपने गांव के लोगों को देंगे बेहतर स्वास्थ्य सेवा

डॉक्टर जवाहर कुमार यादव कहते है की उनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा अपने ही जिले के गांव से हुई थी। उसने अपनी मेहनत और लगन से नीट की परीक्षा पास कर कर्नाटक के इंस्टिट्यूट में जाकर डॉक्टरी की पढ़ाई की।

जिसके बाद उन्होंने MBBS डॉक्टर की पढ़ाई पूरी कर अपने गांव लौटा तो यहां खुशी का माहौल देखने को मिला। गांव वाले उनको घरों पर बधाई देने आते हैं। साथ ही डॉक्टर जवाहर यादव कहते हैं कि अगर कोई किसान परिवार या गरीब परिवार से हैं तो वह पढ़ाई से पीछे ना हटे।