बिहार के भागलपुर जिले केनवगछिया का ऐतिहासिक तेतरी दुर्गा मंदिर उत्तर भारत का शक्तिपीठ माना जाता है. यह मंदिर 423 वर्ष पुराना है. यहां दूर दूर से भक्त मैइया के दरबार मे आकर सर झुकाते हैं और मन्नत पूरा होने पर मैइया को चढ़ावा चढ़ाते हैं. यहां पर पूर्णिया के टीकापट्टी के एक ही परिवार के कलाकार मूर्ति बनाते हैं. विसर्जन पर कई जिला से भक्त जूटते हैं.

पूजा कमेटी के अध्यक्ष रमाकांत राय कहते है कि वर्षों पहले तेतरी के लोगों को स्वप्न आया था कि कलबलिया धार में एक मेढ़ बहकर आ रहा है. उसे रखकर दुर्गा मैइया की प्रतिमा बनाकर पूजा-अर्चना करो. लोगों ने मेढ़ को उठाकर मंदिर वाले स्थान पर रख दिया और थकावट के कारण विश्राम करने लगे. उसी समय खरीक के काजी करैया वाले अपना मेढ़ ढूंढते हुए आये और अपना मेढ़ उठाकर ले जाने लगे, लेकिन मेढ़ तनिक भी नहीं हिला. उसके बाद मेढ़ वहीं स्थापित कर लोग मैया की पूजा-अर्चना करने लगे. लोगों ने मेढ़ को गांव के बीच में रखकर मंदिर स्थापित करने का प्रयास किया, लेकिन मेढ़ वहां से नहीं उठा. यहां एक भव्य प्रतिमा विराजमान है, जिसका भक्त सालों भर पूजा करते हैं. कमेटी के अरुण राय, राजेन्द्र राय, मिथिलेश राय, बबलू चौधरी, टुनटुन मास्टर ने बताया कि मैया के दरबार में कई राज्यों के लोग आकर मन्नत मांगते हैं.

प्रतिमा विसर्जन में जुटते हैं कई जिलों के लोग
जयप्रकाश महंत, बबलू चौधरी ने बताया कि टिकापट्टी से कलाकार आकर प्रतिमा बनाते हैं. वह 15 वर्षो से मैया की प्रतिमा बना रहे हैं. तेतरी दुर्गा मंदिर में स्थापित प्रतिमा का विसर्जन भी देखने लायक होती है. आसपास के कई जिलों के श्रद्धालु विसर्जन में मैइया के दर्शन को आते हैं. विसर्जन में हजारों की भीड़ मैइया की प्रतिमा को कंधे पर लेकर ही प्रदक्षिणा कर कलवालिया नदी में विसर्जन करते हैं.

सात दिनों तक मानस कोकिला बिखेरती है अमृत गंगा
तेतरी दुर्गा मंदिर में पहली पूजा से सप्तमी पूजा तक महंत के नेतृत्व में मानस सत्संग सद्भावना महासत्संग का आयोजन हर साल किया जाता है. वही इस बार झांसी की मानस माधुरी, अखिलेश्वरी जी और आशुतोष मिश्रा के द्वारा किया जायेगा.