पटना: बिहार विधानसभा में जेडीयू भले ही तीसरे नंबर की पार्टी हो, लेकिन इसे राष्ट्रीय पार्टी बनाने की कोशिश जारी है। जेडीयू को राष्ट्रीय पार्टी बनाने के रणनीति पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने abp news से खास बात की।

सवाल– नागालैंड में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहें है। पिछली बार भी आपलोगों को सफलता मिली थी, लेकिन राष्ट्रीय पार्टी नहीं बन पाई थी। राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए नागालैंड में आप कैसे जीत सुनिश्चित करेंगे और क्या जेडीयू इससे राष्ट्रीय पार्टी बन जाएगी?

ललन सिंह– नागालैंड में हम लोग 2018 का भी विधानसभा चुनाव लड़े थे। उसमें हमने एक सीट जीती थी और एक सीट पर बहुत कम अंतर से हार हुई थी।नागालैंड के उस चुनाव में 5.6 प्रतिशत वोट जेडीयू को मिला था। राष्ट्रीय पार्टी के लिए चुनाव आयोग का मापदंड है, उसमें है कि जिन राज्यों में सौ से कम विधानसभा की सीटें हैं, उन राज्यों में तीन विधानसभा की सीट जीतना या कम से कम छह फीसद वोट प्राप्त करना। उस वक्त हम लोग नागालैंड में चुक गए थे। अभी तीन राज्यों में हमारी पार्टी को मान्यता है। बिहार, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर। चौथे राज्य नागालैंड में अगर हम इस चुनाव में आयोग के मापदंड पर खरे उतरते हैं तो चार राज्य में हमारी मान्यता हो जाएगी और हम राष्ट्रीय पार्टी हो जाएंगे। अभी हम वहां गए थे और वहां संभावनाएं देखी है। वहां हमारी पार्टी के लिए अपार संभावनाएं हैं।

सवाल– नागालैंड में तो बीजेपी है और पिछली बार आप बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़े थे। ऐसे में क्या इस बार भी बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे या फिर साथ में?

ललन सिंह– देखिए, जब हम अरुणाचल प्रदेश में भी चुनाव लड़े थे तो सात सीट जीते थे। वहां भी बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़े। मणिपुर में जब चुनाव लड़े तो नौ सीट जीते। तब भी हम बीजेपी के खिलाफ लड़े थे। मणिपुर में तो जो छह सीट जीते हैं वो सीधे तौर पर बीजेपी को हराकर जीते हैं। हमारा जो एनडीए गठबंधन है वो बिहार तक सीमित है। अगर यह गठबंधन बिहार तक सीमित है तो स्वाभाविक है कि हम बिहार से बाहर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। हर पार्टी अपना विस्तार चाहती है।

सवाल– राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते आपकी कोशिश जारी है कि जेडीयू को देश की पार्टी बनाए। लेकिन, बिहार में बीजेपी के साथ आपका सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बीजेपी के नेता बार-बार मांग कर रहे हैं कि यहां पर भी एक कोर्डिनेशन कमेटी हो। इसपर आपकी क्या राय है?

ललन सिंह- कोर्डिनेशन कमेटी बनाना एक कांसेप्ट है। अगर दिल्ली में एनडीए का कोर्डिनेशन कमेटी बन जाएगी तो पटना में भी बना दिया जाएगा। हम लोग को दिक्कत नहीं है।

सवाल- ऐसे कई मामले हैं जिन पर बीजेपी और जेडीयू का विरोध साफ दिखता है। चाहे एनआरसी का मुद्दा हो, जनसंख्या नियंत्रण हो या फिर हाल ही में आपकी एक मांग थी कि अग्निपथ योजना पर पुनर्विचार की जाए।पुनर्विचार तो छोड़िए इसपर कोई बात तक नहीं हुई।

ललन सिंह– देखिए, बीजेपी और जेडीयू दोनों अलग-अलग पार्टी है। हमारी अपनी नीति है। अपने विचार हैं।हम अपनी नीति और सिद्धांत को जीवित रखते हुए एनडीए में हैं, इसलिए हम मुद्दों पर आधारित राजनीति करते हैं। जैसे- तीन तलाक और धारा 370 को हटाने का सवाल आया तो हमने इसका समर्थन नहीं किया।आपको स्मरण होगा कि जब आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी तो उस समय हम लोग जब एनडीए में शामिल होने का फैसला किए थे तो जो नेशनल एजेंडा ऑफ गवर्नेंस बनाया गया था उसमें भी कई तरह के मुद्दे थे। जैसे- 370 का सवाल, कॉमन सिविल कोर्ट, राम मंदिर। ये सब सवालों पर स्पष्ट तौर पर इसमें उल्लेख था कि इन चीजों पर कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। इसलिए हमारी नीति और सिद्धांत के साथ हमने कभी समझौता नहीं किया।

सवाल– इतना बवाल हो रहा है। बिहार विधानसभा में भी साफ देखने को मिला कि बीजेपी के नेता और विधानसभा के अध्यक्ष जो विधायक भी हैं, जिस तरह से समानांतर सरकार चला रहे हैं। वो आपको लग रहा है कि सही दिशा में जा रहा है?

ललन सिंह– देखिए, ये बिहार विधान मंडल का जो आपने जिक्र किया, उसपर हम कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करना नहीं चाहेंगे। क्योंकि बिहार विधानमंडल में क्या हो रहा मुझे इसकी जानकारी नहीं है। उसपर विधानमंडल से जुड़े हुए पार्टी के लोग ही बेहतर बता पाएंगे। हम थोड़ी जाकर विधानसभा में बैठते हैं।

सवाल– आपको लगता है कि यह जो भी हो रहा है गठबंधन के लिए ठीक नहीं हो रहा है?

ललन सिंह– इसपर हमको कुछ जानकारी ही नहीं है।आप बता रहे हैं तो मुझे जानकारी हुई है।

सवाल– केंद्र में आरसीपी सिंह जेडीयू कोटा से मंत्री थे और सात जुलाई को उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है. क्या आप इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखेंगे कि उन्हें रखा जाए या नहीं रखा जाए। इसपर क्या स्टैंड है?

ललन सिंह– आज की तारीख में ये सवाल ही अप्रासंगिक है। यह काल्पनिक सवाल है।

एक आखिरी सवाल– बिहार के सीएम नीतीश कुमार हैं, लेकिन अभी वक्फ बोर्ड को लेकर एक सवाल उठा है कि उसकी बिल्डिंग पूरे बिहार में बनेगी। इसका विरोध कैबिनेट के ही कई मंत्री कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ये ठीक नहीं हो रहा है। अगर ऐसा है तो हिंदुओं के लिए भी कुछ करना चाहिए। धार्मिक संस्थाएं बनानी चाहिए सरकार को।

ललन सिंह– सरकार का जो कामकाज है और सरकार की जो योजनाएं है, उसपर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए हम सही व्यक्ति नहीं हैं। सरकार ने क्या निर्णय लिया? सरकार क्या काम कर रही है?  ये बेहतर सरकार के लोग ही बताएंगे। हम पार्टी या संगठन का विस्तार कैसे करना है, ये बता सकते हैं।

सवाल– आप गठबंधन में हैं तो क्या केंद्र में मंत्री बनेंगे?

ललन सिंह– केंद्र में मंत्री बनने का अभी सवाल कहां है? ये तो टोटल हाइपोथेटिकल सवाल है। आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बने, यह उनका निर्णय था। उससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक निर्णय लिया था। इस बार भी जब समय और परिस्थिति आएगी तो निर्णय लिया जाएगा।