आईपीएस एन अंबिका : इंसान अपने जीवन के दौरान बहुत सारे संघर्ष करता है और जो इंसान संघर्षों से लड़कर जीत जाता है। वह जीवन में कुछ ना कुछ हासिल कर ही लेता है। आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसी आईपीएस की कहानी बताने वाले हैं। जिसकी जिंदगी दो हिस्सों में बंट गई थी। महज 18 वर्ष की उम्र में वह बच्चे की मां बनी और नाबालिक की ही शादी कर दी गई थी लेकिन दूसरा हिस्सा इस लड़की के लिए शानदार रहा और इस दौर में इसने यूपीएससी की तैयारी की और अब आईपीएस बनकर देश की सेवा कर रही हैं। जी हां, आज के इस पोस्ट में हम आपको आईपीएस एन अंबिका की संघर्ष भरी कहानी से रूबरू कराने वाले हैं।

नाबालिक उम्र में हुई शादी
जब अंबिका की उम्र महज 14 वर्ष थी। उसी समय इनकी एक कॉन्स्टेबल के साथ शादी कर दी गई थी और उस समय अंबिका ने भी सोच लिया था कि अब उनका आगे का जीवन ग्रस्थ में ही कटेगा। यहां तक कि उस समय इनके दिमाग में आईएएस आईपीएस जैसे कोई ख्याल भी नहीं आते थे और 18 वर्ष की होते होते ये मां भी बन गई थी यूं तो अंबिका को अब लेडी सिंघम के नाम से जाना जाता है लेकिन वह दौर अंबिका के लिए काफी संघर्ष भरा रहा था। अब सवाल आता है कि जब ये पूरी तरह ग्रस्थ में व्यस्त हो चुकी थी तो फिर इनके अंदर यूपीएससी जैसी सिविल सर्विसेज परीक्षा देने की उमंग कैसे उठी तो चलिए आपको यह भी बता देते हैं।
ऐसे जगी यूपीएससी परीक्षा की ललक
कहते हैं नियति इंसान के लिए मुश्किल से मुश्किल दरवाजा खोल देती है और ऐसा ही कुछ आईपीएस एन अंबिका के साथ भी हुआ था। दरअसल, हुआ यह कि एक बार यह अपने कॉन्स्टेबल पति के साथ परेड देखने गई थी। वहां पर उन्होंने देखा कि इनके पति उच्च अधिकारियों के सामने परेड कर रहे थे। बस यहीं से इनके अंदर प्रेरणा जगी और इन्होंने सोच लिया कि वह भी आगे चलकर कुछ बड़ा करेंगी और इसके लिए सबसे पहला गुरु उन्होंने अपने पति को बनाया और पूछा कि आखिर यह उच्च अधिकारी बनते कैसे हैं। उस समय उनके पति को भी उनकी बातों पर यकीन नहीं था लेकिन इनके पति भी इनके जीवन को लेकर अच्छा ही चाहते थे तो उन्होंने भी इन्हें सारी जानकारी दी और फिर इन्होंने यूपीएससी की प्रिपरेशन करना शुरू कर दिया।

और फिर शुरू हुआ सफर
आपको जानकर हैरानी होगी जब अंबिका ने आईपीएस बनने के बारे में सोचा था, उस समय यह दसवीं कक्षा भी पास नहीं थी लेकिन उन्होंने आईपीएस बनने के लिए ठान लिया तो उसी समय इन्होंने एक प्राइवेट स्कूल से 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद ग्रेजुएशन और फिर शुरू हुई इनकी यूपीएससी के सफर की शुरुआत। अंबिका के लिए यह दौर बिल्कुल भी आसान नहीं था लेकिन इस दौर में एक आदमी था जो इनके साथ हर पल खड़ा हुआ था और वह इनके पति थे इनके पति ने इनकी पढ़ाई लिखाई में खूब मदद की थी।यहां तक कि एक समय पर इनके पति ने इन्हें तैयारी करने के लिए चेन्नई भेज दिया और खुद ही बच्चों की देखभाल करते थे। चेन्नई में रहकर इन्होंने यूपीएससी की तैयारी की और फिर एग्जाम देने का वक्त आया।

निरंतर सफलता के बाद मिली सफलता
अंबिका को एक दो बार में नहीं बल्कि तीसरी बार में सफलता मिली थी। साल 2008 में अंबिका ने यूपीएससी की परीक्षा पास करके अपनी मेहनत के दम पर सबको दिखा दिया था कि मेहनत करो तो सब कुछ आसान है. पहले दो अटेम्प्ट में अंबिका यह परीक्षा पास नहीं कर पाई थी लेकिन साल 2008 में इनकी मेहनत का फल इन्हें मिला और इन्हें डीजीपी का पद दिया गया। वर्तमान समय में अंबिका मुंबई के जोन-4 में डीसीपी के पद पर कार्यरत हैं और इन्हें लेडी सिंघम के नाम से जाना जाता है। वाकई अंबिका की प्रेरणादायक कहानी दिखाती है कि अगर आप किसी चीज को पूरी शिद्दत से चाहा लेते हैं। तो पूरी कायनात भी उससे आपको दिलाने में जुट जाती है। अंबिका की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है और हर कोई इन्हें आदर्श मानता है।