नई दिल्ली. भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने न्यूज18 से खास बातचीत में कहा कि तेजस्वी यादव जदयू-राजद-कांग्रेस गठबंधन सरकार में बिहार के असली मुख्यमंत्री होंगे. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने की है. मंगलवार को दिल्ली में एक विस्तृत इंटरव्यू में गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार को अमरबेल और अजूबा मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री करार दिया, जो हमेशा दूसरों का इस्तेमाल कर आगे बढ़े हैं और कभी भी अपने बलबूते चुनाव नहीं लड़ा है और न ही जीता है. बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि नई सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठनों को शरण देगी. उन्होंने दावा किया कि ऐसे तत्वों के लिए नीतीश सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं, जबकि लालू प्रसाद सुपर-सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी इसका विरोध करेगी.

नई सरकार में राजद के 16 मंत्री बने हैं, जो सबसे ज्यादा हैं. तो क्या सीएम नीतीश कुमार अभी भी सब कुछ होंगे?

जदयू का कहना है कि उसने बीजेपी के साथ इसलिए गठबंधन तोड़ दिया क्योंकि आपकी पार्टी आरसीपी सिंह का इस्तेमाल करके उनकी पार्टी में फूट पैदा कर रही थी. आरसीपी को नीतीश की इच्छा के खिलाफ केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। नीतीश कुमार बताएं कि गठबंधन टूटा तो क्यों टूटा. इस तरह के आरोप निराधार हैं. कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना. नीतीश बताएं कि उन्होंने कभी प्रधानमंत्री या गृह मंत्री को पत्र लिखा था कि उनकी मंजूरी के बिना आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बन गए? यह संभव ही नहीं है. जब लोग कहते हैं कि हम आरसीपी सिंह के जरिए जदयू तोड़ देंगे तो मैं पूछूना चाहूंगा कि जदयू को क्यों तोड़ना है? जब हमने नीतीश को सीएम बनाया था तब वे 43 सीटों पर थे और 74 साल के थे, तो उनकी पार्टी को तोड़कर हमने क्या हासिल होता? अगर हमें जदयू को तोड़ना होता तो 2020 में ही हम उनके साथ सरकार नहीं बनाते. बच्चों जैसी बातें क्यों करते हैं. यह सब छवि बचाने का प्रयास है, क्योंकि उनके पास कोई शब्द नहीं है. इसलिए मैं कहता हूं- कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना.

केंद्र ने हाल ही में बिहार में PFI लिंक का भी खुलासा किया है. क्या यह भी नीतीश कुमार के इस कदम की वजह थी?

तब से अब मुद्दे बदल गए हैं और वोट शेयर के प्रतिशत में अब ज्यादा अंतर नहीं है. आज नीतीश जिनके साथ खड़े हैं, उनके वंशवाद और शक्ति प्रदर्शन को लेकर बहस होगी. 2014 में, जब मोदी पीएम का चेहरा थे, तब लोगों ने राज्यों में कुछ गणना की थी, लेकिन वह विफल रही. वोट किसी पार्टी का नहीं, जनता का होता है. जनता गुलाम नहीं है, जो किसी पार्टी के साथ चली जाए. किसी को भी इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि यह मेरा समीकरण है, TY समीकरण है… यह काम नहीं करता है. मोदी सबके दिलों में रहते हैं. वे (विपक्ष) सबसे ज्यादा इसलिए परेशान हैं क्योंकि मोदी एक पिछड़े गरीब समुदाय से हैं और गरीबों के लिए जीते हैं और गरीबों के लिए काम करते हैं. वे (विपक्ष) इसलिए काम कर रहे हैं कि मोदी का नाश कैसे करें. मोदी के खिलाफ पार्टियों का जमघट हो सकता है, लेकिन वे जनता के दिलों पर राज कर रहे हैं. यही बिहार में हमारी जीत की कुंजी होगी.