बिहार में हाल ही में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद कई पंचायत प्रतिनिधियों की हत्या कर दी गई. साथ ही कइयों पर जानलेवा हमला होने की भी घटना हुई है. ऐसे में पंचायत प्रतिनिधियों की सुरक्षा को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं जिसके बाद सरकार ने इस संबंध में बड़ा फैसला लिया है. बिहार सरकार ने अब पंचायत प्रतिनिधियों को हथियार का लाइसेंस निर्गत करने का फैसला लिया है. इसके बाद अब यह माना जा रहा है कि तमाम पंचायत प्रतिनिधि खुद अपनी सुरक्षा करने में सक्षम होंगे. साथ ही वो अपने पंचायतों में ठीक ढंग से काम भी कर सकेंगे.

पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने बुधवार को कहा कि सरकार को दो लाख 57 हजार प्रतिनिधियों की सुरक्षा की फिक्र है. इस संबंध में लगातार काम किया जा रहा है. पिछले दिनों राज्य में कुछ मुखिया की हत्या को देखते हुए सरकार ने 30 बिंदुओं पर काम करते हुए यह तय किया है कि स्पीडी ट्रायल चला कर अपराधियों को जल्द सजा दिलवायी जाएगी. इसके लिए गृह विभाग ने लिखित आदेश सभी जिलों के जिलाधिकारी (डीएम) और एसएसपी/एसपी को जारी किया था.

अब बुधवार को पंचायती राज विभाग के निदेशक रंजीत कुमार सिंह ने बकायदा सभी जिलों के डीएम और एसएसपी/एसपी को गृह विभाग के पूर्व के आदेश का स्मरण करवाते हुए नया आदेश जारी किया है. इस नए आदेश में सभी जिलाधिकारियों को शिविर लगाकर लाइसेंस के आवेदनों को निस्तारित करने को कहा गया है.

किसे मिलेगा हथियार लाइसेंस?
इस संबंध में पंचायती राज मंत्री ने कहा कि जो लोग आवेदन करेंगे उन्हें आर्म्स लाइसेंस दिया जाएगा. इसके लिए गृह विभाग की तरफ से सभी जिलाधिकारियों को निर्देश भी जारी कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि हमने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है वो यह कि जो भी प्रतिनिधि सुरक्षा की मांग करेंगे उन्हें सरकारी स्तर पर अंगरक्षक मुहैया कराई जाये.