बगहा के रहने वाले एक NRI परिवार को छठ महापर्व की पावन श्रद्धा ने कनाडा से खींच लाया। बगहा के रहने वाले इस परिवार ने एक लंबे अरसे के बाद छठ महापर्व को अपने घर में करने का फैसला लिया। दरअसल नगर के वार्ड नंबर 5 के निवासी मनोरमा देवी के पुत्र मृणाल प्रताप सिंह कनाडा के टीसीएस में विगत कई वर्षों इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। वहीं एक दूसरे कंपनी में उनकी पत्नी भी इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। मृणाल ने बताया कि इस वर्ष उनकी मां बीमार पड़ गई थी और कुछ दिन पहले उन्होंने फोन करके यह कहा था कि बेटा मैं इस बार छठ महापर्व नहीं कर पाऊँगी।

जब मिलना की पत्नी इंजीनियर सुरभि ने अपनी सास के इस बात को सुना कि वह इस वर्ष छठ को नहीं कर पाएंगे तो सुरभि ने सोचा कि क्यों ना इस बार छठ को मैं खुद करूं। लेकिन सुरभि ने यह भी सोचा कि इतने कम समय में ऐसा कैसे होगा।
बीमारी की वजह से इस बार माँ छठ किसी और के यहां बैठाने जा रही है यह सुनते ही NRI बेटा का मन बेचैन हो उठा था। रात-दिन एक करके उसने असंभव से लगने वाले इस कार्य को संभव किया और मां की जगह स्वयं अपनी पत्नी के साथ छठ करने के लिए सात समंदर पार कनाडा से बिहार के बगहा पहुंचे। इस बार नरैना बगहा के छठ घाट पर इंजीनियर मृणाल प्रताप सिंह स्वयं छठ करने पहुंचे और यही वजह है कि परिवार में बहुत खुशी हुआ हर्ष उल्लास के साथ छठ व्रत मनाया गया।
अगले वर्ष से पत्नी करेंगी छठ
दंपत्ति यह छोटी सी बच्ची है। जिसके कारण इस वर्ष इंजीनियर सुरभि ने छठ नहीं करने का फैसला लिया। इसलिए बेटे ने इस साल मां से छठ व्रत लेते हुए महापर्व छठ के परंपरा को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। इंजीनियर सुरभि ने बताया कि बच्ची छोटी है इसलिए वह अगले साल से स्वयं छठ करेंगी।

OCI कार्ड बनवाने में हुई परेशानी
NRI दंपती ने बताया कि सबसे कठिनाई बच्ची के लिए ओवरसीज कार्ड ऑफ इंडिया (OCI CARD) बनवाने में हुई। फिर एक दुधमुंही बच्ची के साथ 16 घंटे की हवाई यात्रा और लगभग 24 घंटे की रेलयात्रा इतनी आसान नहीं थी। परंतु बचपन की इतनी याद है छठ को लेकर की बिहार के मृणाल को जब उनकी माताजी ने यह कहा कि वह इस बार छत नहीं कर पाएंगे। तब उनके नजरों के सामने वह सारी पुरानी तस्वीरें घूरने लगी और उन्होंने सोचा कि इतने साल से चली आ रही परंपरा को मैं टूटने नहीं दूंगा और इसलिए उन्होंने इतने दूर से अपने घर बिहार आने का फैसला किया।
बड़ी कंपनी में होने के कारण हर बार छुट्टी नहीं मिल पाती थी इस कारण से मृणाल कई साल से अपने घर बिहार छठ महापर्व मनाने नहीं आ पा रहे थे। इसका पछतावा उन्हें हर साल होता था पर वह अपने और अपने पत्नी की जॉब के कारण विवश हो जाते थे। परंतु इस बार उन्होंने सब चीजों को किनारे करते हुए छठ महापर्व को मनाने का फैसला किया और अपने घर आकर छठ पर्व मनाया।