श्रावण मास की दूसरी सोमवारी पर पूरा बाबानगरी गेरुआधारी कांवरियों से पटा रहा. पूरे शहर में बोलबम की जयकार गूंज रही थी. सुबह से बारिश के फव्वारों ने कांवरियों को काफी राहत पहुंचायी. सुबह से मौसम ऐसा रहा मानो बाबा भोलेनाथ स्वयं भक्तों को राहत की कृपा बरसा रहे हों. जलार्पण करने आये कांवरियों की जनसैलाब रविवार की रात से उमड़ पड़ी.

2.71 लाख कांवरियों ने किया जलार्पण

कांवरिये रविवार की रात को दस बजे से ही कतार में लगने लगे थे. रात दो बजे तक कांवरियों की कतार बाबा मंदिर से 12 किमी दूर एक बार फिर कुमैठा स्टेडियम तक पहुंच गयी थी. सोमवार को शाम के करीब छह बजे तक कड़ी सुरक्षा घेरे में करीब 2,71,616 कांवरियों ने बाबा पर जलाभिषेक कर मंगलकामना की. इसमें मुख्य अरघा से 1,81,957 और बाह्य अरघा से 89,659 भक्तों ने जल चढ़ाया. भीड़ को कंट्रोल करने के लिए बाबा मंदिर के निकास द्वार पर लगे तीन बाह्य अरघा काफी कारगर साबित हुआ. इस अरघा में भी जलार्पण करने वाले कांवरियों का तांता लगा रहा.

सुबह 3:43 बजे से कांवरियों का शुरू हुआ जलार्पण

बाबा मंदिर का पट सुबह 03:05 बजे खुलने के साथ ही सबसे पहले बाबा भोलेनाथ की कांचा जल पूजा की. सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा ने बाबा भोलेनाथ की सरदारी पूजा की. इसके बाद सुबह 3:43 बजे से आम कांवरियों का जलार्पण प्रारंभ कराया. भीड़ को कंट्रोल करने के लिए मंझला खंड में लगे रैफ एवं जिला पुलिस के जवानों ने तेजी से जलार्पण प्रारंभ कराना प्रारंभ किया. प्रति मिनट 180 से लेकर 200 कांवरियों को मुख्य अरघा से जलार्पण कराने की प्रक्रिया जारी रही. दिन के 12 बजे से कांवरियों की कतार बीएड कॉलेज से संचालन करने की प्रक्रिया जारी रही.

बाह्य अरघा से भी जलार्पण कर गदगद दिखे कांवरिए

भीड़ को कम करने में बाबा मंदिर में लगाये गए बाह्य अरघा का अहम रोल रहा. बाबा मंदिर के निकास द्वार से सटे तीन बाह्य अरघा लगाये गये थे. जिसमें एक मुख्य अरघा और बाह्य अरघा भी शामिल थे. शाम छह बजे तक हजारों की संख्या में इस अरघा के माध्यम से जलार्पण करने के लिए कांवरियों का तांता लगा रहा.