माननीय उप मुख्यमंत्री ने नगर विकास मंत्री का पदभार ग्रहण कर शहरी विकास को गति देने का मंशा जाहिर किया है । इस संदर्भ में हम उनसे अपना विचार साझा करना चाहते है।

ईमानदारी और अकाउंटेबिलिटी की जरुरत

बिहार जैसे प्रदेश में जहां पटना , भागलपुर , मुजफ्फरपुर , गया सहित तमाम जिला , अनुमंडल और प्रखंड टाउन बेतरतीब ( unplanned ) बसा हुआ है । इन शहरों का ड्रेनेज , रोड , स्ट्रीट आदि सबकुछ तंग हालत में है । जाम की समस्या अपने चरम पर है । इंक्रोचमेंट की अलग समस्या है । बिना रूल्स को फॉलो किए अट्टालिकाएं खड़ी कर दी गई है । ऐसे विषम परिस्थिति में आपका शहरी विकास को लेकर आगे कार्य बहुत अधिक चुनौतियों से भरा हुआ है । सब कुछ दुरूह स्वप्न सा लगता है । यदि सचमुच कुछ बड़ा करना चाहते हैं तो आपको कुछ काम बहुत अधिक ईमानदारी और अकाउंटेबिलिटी के साथ करनी होगी । जैसे

नगर विकास मंत्री को सुझाव

  1. सबसे पहले अर्बन डेवलपमेंट को समझने वाले विशेषज्ञों की टीम बनानी होगी जो ईमानदार हो ,परिश्रमी हो , जिम्मेदार हो , जिसमें जोश हो , जिसे आपके ऊपर विश्वास हो और जिसपर आपको भरोसा हो।
  2. पटना सहित तमाम शहरों की मूलभूत समस्याओंका सेपरेट व सूक्ष्म अध्ययन कर उसे कैटेगरी वाइज चिन्हित करना होगा । फिर उन समस्याओं को prioritise करना होगा कि कहां से सुधार शुरू हो ।
  3. भारत तथा दूसरे देशों के कुछ शहरों के विकास व मैनेजमेंट का भी अध्ययन जरूरी है ।
  4. शहरी विकास के क्रम में पर्यावरणविदों के साथ भी प्रॉपर समन्वय स्थापित कर योजनाएं बनानी होगी । ( जैसे गंगा पाथवे environmentally Bad प्रोजेक्ट है )
  5. केवल concretization को विकास समझने की भूल से बचना होगा । ग्रीन व सस्टेनेबल डेवलपमेंट के कॉन्सेप्ट को धरातल पर लाकर विकास कार्य करने होंगे
  6. मैक्सिमम बेनिफिट कॉन्सेप्ट को लागू करना होगा ( जैसे बेली रोड पर न्यू museum , बीपीएससी के आगे तथा दरोगा राय पथ पर फ्लाई बनाने जैसे प्रोजेक्ट से बचना होगा ) ।

ऐसी कई बातें हैं जिसपर गंभीरतापूर्वक विमर्श के साथ कदम बढ़ाएंगे तो संभव है कि आप शहरी विकास के क्षेत्र में बिहार के लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य कर पाएंगे ।