पटना. आरसीपी सिंह के जदयू से इस्तीफा दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहली बार खुलकर बोले. उन्होंने साफ-साफ आरोप लगाते हुए कहा कि आरसीपी सिंह ने बहुत गड़बड़ी की है. आरसीपी सिंह को मैंने अपना पद दिया था; और बिना मेरी मर्जी के वह जाकर मंत्री बन गए. आरसीपीसी दल के हित में काम नहीं कर रहे थे. उनकी सारी रिपोर्ट आ रही थी. नीतीश कुमार ने आगे  कहा, आरसीपी सिंह को मैंने कहां से कहां तक बनाया और अब मेरे बारे में बोलता है बुद्धि खत्म हो गई. जिस आदमी को इतना अधिक हमने सम्मान दिया आज वह इस तरह की बात बोलता है. इस बात का हमारे दल से जुड़े लोगों को काफी दुख हुआ है.

इस सवाल के जवाब में कि क्या आरसीपी सिंह भाजपा का साथ दे रहे थे? सीएम नीतीश कुमार ने कहा, अब किसी के मन में कुछ रहता है तो क्या किया जा सकता है; जहां रहना है रहो. मैंने पहले ही कहा था मंत्रिमंडल में मुझे एक पद नहीं चाहिए. मैंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में कम से कम 4 सीटें मांगी थीं. मैंने आरसीपीसी को कुछ नहीं कहा और आगे भी कुछ नहीं कहूंगा. वह मंत्री बनने के बाद दूसरे राज्यों में भी जाते थे तो पार्टी के नेताओं से मुलाकात नहीं करते थे.

नीतीश कुमार ने आगे कहा, यह सभी को मालूम है कि मैंने कितना सम्मान दिया. मैं केंद्र में था; उस वक्त मैंने उसे अपने साथ में रखा. उसके बाद राज्यसभा का सदस्य बनाया. पटना में संजय गांधी के एमएलसी बनने के बाद उनका फ्लैट आरसीपी सिंह को दिलवाया, किसी एमपी को पटना में घर नहीं मिलता है. आरसीपी सिंह को यहां काफी इज्जत और सम्मान दिया गया. 6 महीना वह मेरी जगह पर राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, बाद में जा करके खुद से केंद्रीय मंत्री बन गए. तब मैंने कहा कि अब ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना है आप पर छोड़ दीजिए.

नीतीश कुमार ने कहा, चुनाव के दौरान भी टिकट बंटवारे और उम्मीदवार के चयन के लिए मैंने उन्हें फ्री छोड़ा था. मैं पिछले डेढ़ 2 महीने से किसी से बात नहीं कर रहा था. मैंने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में बीजेपी सपोर्ट किया. हमारे दल के अंदर लोगों की इच्छा थी और पहले से भी चुनाव के बाद भी हमारे लोगों ने हमसे कहा था; बीजेपी के कारण हम चुनाव हारे हैं. मुझे लगा कि हमें अपने दल को सुरक्षित रखना है. इसके बाद हमलोगोंने काफी सोच समझकर यह निर्णय लिया.