हर मां बाप का सपना होता है कि बड़े होकर उनका बच्चा किसी ऊंचे मुकाम तक पहुंचे। इसके लिए वह बचपन से ही अपने बच्चे को ठीक से पढ़ने की हिदायत देते हैं और उनकी जरूरत के हिसाब से अच्छे से अच्छे स्कूल मैं एडमिशन करवाते हैं। यहां तक कि कई बार देखा गया है कि मां-बाप अपने सुख सुविधाओं को दांव पर लगाकर पैसे बचाते हैं और वह अपने बच्चों की बेहतर एजुकेशन पर खर्च करते हैं।

आज के कंपटीशन वाले समय में सिर्फ स्कूल की पढ़ाई से काम नहीं चल सकता क्योंकि, आज का रिजल्ट हंड्रेड परसेंट में भी कंपटीशन के अंतर्गत आता है। इसलिए देश के कुछ नामी चुनिंदा कोचिंग संस्थान है, जो आपको उस स्तर की तैयारी कर आते हैं, जहां आप 99 से 100 परसेंटाइल के बच्चों से कंपटीशन कर सकते हैं। ऐसे ही एक बच्चे की आज हम बात करने वाले हैं, जिसने ने हाल ही में ज़ी मेन्स (JEE Mains) में 100 परसेंटाइल से एग्जाम को क्रैक किया। उनकी सफलता के पीछे उनकी मां का वह सपना था जहां वह खुद इस एग्जाम को क्रैक करना चाहती थी। परंतु समुचित माहौल ना मिल पाने की वजह से यह सपना उनका अधूरा रहा। अपने बेटे को उन्होंने इस लायक बनाया कि वह उनके सपने को पूरा कर सकें।

महाराष्ट्र के शहर से रहने वाला है हमारा जी मेंस का टॉपर
दोस्तों हम बात कर रहे हैं ज्ञानेश शिंदे (Gyanesh Hemendra Shinde) की जोकि महाराष्ट्र (Maharastra) के अंदर का आने वाले औद्योगिक नगर पुणे के रहने वाले हैं। इनके पिता जी का नाम हेमेंद्र शिंदे हैं। ज्ञानेंद्र के परिवार में उनके माता-पिता एवं एक बड़ी बहन है। ज्ञानेंद्र शुरू से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे। उनकी मां भी पढ़ाई में काफी आगे जाना चाहती थी, जिस वजह से अपने दोनों बच्चों को उन्होंने शुरू से ही पढ़ाई का बेहतर माहौल देना शुरू किया ताकि, वह किसी वजह से अपनी पढ़ाई में पिछड़ ना सके।

इसी का नतीजा आज देखने को मिल रहा है कि, ज्ञानेंद्र ने जी मेंस के एंट्रेंस में हंड्रेड परसेंट टाइल लाकर अपनी पढ़ाई का लोहा मनवा दिया वहीं इनकी बड़ी बहन भी चंद्रपुर के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही है।
दसवीं में आए थे 98 प्रतिशत जहां से उन्हें आगे की पढ़ाई की प्रेरणा मिली अपनी बहन से
जानकारी के अनुसार ज्ञानेंद्र ने बताया की दसवीं क्लास में उनके 98 प्रतिशत आए थे। जैसे यह रिजल्ट सबके सामने आया पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। इतने अच्छे रिजल्ट के बाद ज्ञानेंद्र की बहन जो आज एमबीबीएस कर रही है। उन्होंने ज्ञानेंद्र को मोटिवेशन दिया कि पढ़ने में वह बहुत अच्छा है और चाहे तो आगे किसी बहुत बड़े इंस्टिट्यूट से हायर एजुकेशन भी ले सकता है। बस इसके लिए उसको ध्यान देना होगा अपनी सेल्फी स्टडीज में। तो ज्ञानेंद्र ने अपने स्कूल एवं कोचिंग के अलावा लगभग 6 घंटे रोज Self-Study को देना शुरू कर दिया, और यही Self Study उनके लिए वरदान साबित हुई।

कभी मां जाना चाहती थी कोटा जी मेंस की तैयारी करने
ज्ञानेंद्र शिंदे की माता माधवी शिंदे ने बातचीत के दौरान बताया कि कभी अपनी पढ़ाई के दौरान वह भी कोटा के इंस्टिट्यूट से हायर एजुकेशन की तैयारी करना चाहती थी, परंतु उस वक्त की पारिवारिक परिस्थितियां और माहौल अनुकूल ना होने की वजह से वह कोटा ना जा सके। जब उन्होंने देखा कि उनका बच्चा इस लायक है कि उसे कोटा की एजुकेशन मिलनी चाहिए तो उन्होंने ज्ञानेंद्र का एडमिशन कोटा के इंस्टिट्यूट में करवाया। जहां से उसने लग कर कुछ साल तैयारी की और जी मैंस में 100 परसेंटाइल लेकर आ गया। आज ज्ञानेंद्र की सफलता को देखकर मां गर्व से कहती है कि, मेरा अधूरा सपना मेरे बेटे ने पूरा किया यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।

कोटा इंडिया के टॉप इंस्टीट्यूट्स की फैक्ट्री मानी जाती है
आज जब भी किसी कंपटीशन एग्जाम में टॉप रैंकर्स की बात करें तो सब में एक ही बात कॉमन पाई जाती है कि वह कहीं ना कहीं कोटा के किसी न किसी इंस्टिट्यूट से तैयारी कर रहे थे। इसीलिए आज कोटा को स्टूडेंट के भाषा में कोटा फैक्ट्री के नाम से जाना जाने लगा है, जहां ब्रिलियंट बच्चे बनाए जाते हैं।