आज हम मुंबई की पहली BEST बस ड्राइवर लक्ष्मी जाधव और बस कंडक्टर पूजा से मिलेंगे। जानेंगे उनके ऑटो से बस ड्राइवर तक का सफर। इसके बाद जानेंगे गज्जूबेन की कहानी, जिन्होंने 77 की उम्र में अपना फूड एंपायर खड़ा किया।

देश को आजाद हुए 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं। कोई भी उत्सव उन महिलाओं को सम्मानित किए बगैर अधूरा है। जिनके काम और जुनून के चलते देश हर दिन नई ऊंचाइयों को छू रहा है। ऐसी ही कहानी मुंबई की पहली महिला बस ड्राइवर लक्ष्मी जाधव और कंडक्टर पूजा की है। गज्जू बेन की भी कहानी एक मिसाल है जिन्होंने 77 साल की उम्र में फूड एंपायर खड़ा किया है।

ऑटो रिक्शा से बस तक पहुंचने का यह सफर लक्ष्मी के लिए काफी लंबा रहा है। साल 1926 में मुंबई में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम आने के बाद 41 साल की लक्ष्मी पहली महिला BEST बस ड्राइवर हैं। लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं रहा है। जब लक्ष्मी ने बस चलाने का फैसला किया तो लोगों ने उनको हतोत्साहित किया।

सिर्फ एक फर्क है कर्व मैनेज करना : लक्ष्मी 

लक्ष्मी ने न्यूज़ 18 को बताया, “लोगों ने मुझसे कहा कि महिलाएं इतनी बड़ी गाड़ी नहीं चला सकतीं। मैंने उनसे कहा कि मैं एक महिला हूं, मैं ड्राइव कर सकती हूं और कुछ भी कर सकती हूं। लेकिन बस की महिला सवारियों ने मेरा हौसला बुलंद किया। मेरे काम की तारीफ की। इससे मुझे अच्छा महसूस हुआ और मुझे आत्मविश्वास भी मिला। बस चलाना ऑटो चलाने से बहुत ज्यादा अलग नहीं है। सिर्फ एक फर्क है कर्व मैनेज करने का, जिसमें मैंने महारत हासिल की है।”

न्यूज़ 18 से बात करते हुए BEST के जनरल मैनेजर ने कहा कि महिला ड्राइवर होने से सबसे अच्छी बात यह है कि महिला पैसेंजर ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। उन्होंने कहा, “BEST में लगभग 26 फीसदी स्टाफ महिलाएं हैं। हमने सोचा कि महिलाएं हर क्षेत्र में काम कर सकती हैं तो बस भी क्यों न चलाएं। हमने दिल्ली में निर्भया की घटना के बारे में सोचा, अगर महिला बस ड्राइवर होती तो स्थिति कुछ और होती। हम महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराना चाहते थे। हम जल्दी ही और महिलाओं को ट्रेनिंग देकर महिला ड्राइवरों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं।”

महिलाएं हमारा सपोर्ट करती हैं : पूजा 

इस सफर में लक्ष्मी की साथी बस कंडक्टर पूजा हैं। पूजा न्यूज़ 18 को बताती हैं, “कई बार जब मैं टिकट कलेक्ट करने जाती हूं तो कुछ लोग मना कर देते हैं। मुझसे पूछते हैं कि आप क्यों आई हैं। कुछ बहुत असभ्य होते हैं। जब वो मुझे लड़ते हैं तो मैं उन्हें पलट कर जवाब देती हूं। जब महिलाएं हमें देखती हैं तो वह अक्सर हमारा सपोर्ट करती हैं।”

लक्ष्मी कहती हैं कि लक्ष्मी और पूजा के कंधों पर जिम्मेदारी बढ़ जाती है खासकर तब जब वे दोनों साथ में सफर करती हैं। कोई भी गलती कितनी भी छोटी हो माफ नहीं की जा सकती, जिसमें सभी महिलाओं को गलत बोला जाता हो। लोग कहते हैं कि महिलाएं कार नहीं चला सकती तो बस क्यों चलाएं। लक्ष्मी की पहली राइड धारावी से साउथ मुंबई की ओर होती है। जिसमें बस पुरुष यात्रियों से भरी होती है। लक्ष्मी अपनी सेकेंड शिफ्ट घर जाने के बाद करती हैं। घर पर दो बेटों को संभालना होता है। बच्चे जानते थे कि मैं ट्रेनिंग ले रही थी और सोच रही थी कि क्या मैं बस चला पाऊंगी। लेकिन अब उन्हें मुझ पर गर्व है। वे चाहते हैं कि मैं उनके स्कूल जाऊं और उनके दोस्तों को दिखाऊं कि बस कैसे चलाई जाती है।

गज्जू बेन के धैर्य की कहानी 

मुंबई के चरनी रोड पर प्रार्थना सभा की तीसरी मंजिल पर एक बुजुर्ग एक कमरे के बाहर बैठे थे। जहां स्टूडियो बनाया जा रहा है। जिसमें रोशनी, कुर्सियां, एक हरे रंग का क्रोमा लगी दीवार है। बुजुर्ग न्यूज़ 18 को बताते हैं, “मैं अपनी पत्नी उर्मिला के लिए यह स्टूडियो बनवा रहा हूं।”

उर्मिला जिन्हें ‘गज्जू बेन’ के नाम से जाना जाता है। जिनका ‘गज्जू बेन नाश्ता’ नाम से एक सक्सेसफुल बिजनेस है। जिसमें वे छोटे से स्टोर से ऑनलाइन गुजराती स्नैक्स बेच रही हैं। जिसका टर्नओवर 8 लाख रुपये महीने से ज्यादा है। उर्मिला की कहानी ढेर सारे दुख आने पर भी धैर्य रखने वालों में एक की कहानी है। 77 साल की गज्जूबेन ने अपनी 2 साल की बेटी को खो दिया और बाद में बीमारी के चलते दो बेटों को भी खो दिया। लेकिन 2019 में हुए उनके पोते हर्ष के एक्सीडेंट ने उन्हें झकझोर कर रख दिया। वो बताती हैं कि अपने निचले होंठ खोने के बाद हर्ष डिप्रेशन में चला गया था उन्होंने कहा, “अगर मैंने हार मान ली होती तो घर की और हर्ष की देखभाल कौन करता?” तो उर्मिला उर्फ गज्जूबेन ने फाफड़ा और थेपला बनाने का निश्चय किया।

लॉकडाउन में बढ़ा बिजनेस 

वो कहती हैं, “मेरे पोते हर्ष और मैंने स्नैक्स बनाने का एक काम शुरू कर दिया। शुरुआत में हमारे पास कुछ ही ऑर्डर थे। हर्ष ने कहा कि मैं एक इंस्टाग्राम अकाउंट बना लूंगा जिस पर अपने प्रोडक्ट की फोटो डालूंगा। अब हर्ष मेरा फोटोग्राफर है। इसके बाद हर्ष ने यूट्यूब पर आने का फैसला किया। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान उनका यह बिजनेस बढ़ गया। वर्क फ्रॉम होम करने वालों से उन्हें ऑनलाइन ऑर्डर मिलने लगे। जिससे उनका बिजनेस तेजी से बढ़ने लगा।” गज्जू बेन कहती हैं कि अब मैं कैमरे के सामने कंफर्टेबल हो गई हूं।

TEDx स्पीकर अब उनके लिए स्टूडियो बनवा रहा है। गज्जूबेन कहती हैं कि मैं सुबह 5 बजे उठती हूं, सभी स्नेक्स तैयार करती हूं। जो लोग आर्डर देते हैं उन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हर्ष की होती है। मेरा एक छोटा सा स्टोर भी है जहां मैं स्नैक्स बेचती हूं।

पीएम को फाफड़ा खिलाने का है सपना 

गज्जूबेन ने फूड इंडस्ट्री के बड़े नामों के साथ मंच शेयर किया है। उनकी अभी दो इच्छाएं बाकी हैं। पहली की वो अमेरिका जाना चाहती हैं। उनके पोते का कहना है कि उन्हें अकेले यात्रा करना पसंद है। उर्मिला बहन गुजराती परिवारों के लिए खाना बनाने और उनके साथ रहने के लिए लंदन जा चुकी हैं। हर्ष कहते हैं कि वह अपना बैग पैक करती हैं और अकेले चली जाती हैं। वह एक बार लोनावला गई थीं। साथ ही मुंबई के कुछ हिस्सों में एक दिन का सफर कर चुकी हैं। उनकी दूसरी इच्छा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उन्हें फाफड़ा ऑफर करने की है। वो कहती हैं ” मेरा पोता और मैं एक दूसरे से बहुत अलग हैं। लेकिन हम बिजनेस पार्टनर हैं. मुझे हंसना और मुस्कुराना पसंद है। मुझे केवल एक शिकायत है। वह बेहतर और बड़ी जगह पर शिफ्ट होना चाहते है। लेकिन मैं इस चॉल को नहीं छोड़ सकती। यह वह जगह है जहां मैंने शुरुआत की थी और यहीं मेरा सफर खत्म होगा।”