यूपी के फतेहपुर जिले में जिलाधिकारी आवास में गाय के इलाज के लिए 7 डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी की ओर से जारी एक सरकारी आदेश अब वॉट्सएप ग्रुप में वायरल हो गया है, जिसके बाद सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया। जब इस बारे में अपर मुख्य पशुधिकारी से बात की गई तो उनका कहना है कि आदेश तो जारी किया है, लेकिन किसी सरकारी कर्मचारी ने इस लेटर को शरारतपूर्ण ढंग से वायरल कर दिया है।
फतेहपुर जिले की डीएम अपूर्वा दुबे के आवास में पाली गई गाय की तबीयत खराब होने के बाद पशु चिकित्सा विभाग ने बारी बारी से 7 डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई।जिसका एक सरकारी आदेश भी वॉट्सएप ग्रुप में शेयर किया गया। इसी आदेश पत्र को ग्रुप में जुड़े किसी कर्मचारी ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। अब सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया है और पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस मामले में पल्ला झाड़ रहे हैं।

माफी के योग्य नहीं लापरवाही
सरकारी पत्र में लिखा हुआ है कि डीएम महोदया की गाय की चिकित्सा करने के लिए पशु चिकित्साधिकारी की प्रतिदिन सुबह-शाम की ड्यूटी लगाई जाती है। साथ ही पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दिनेश कुमार सनगांव इन संबंधित डॉक्टरों से समन्वय स्थापित कर प्रतिदिन सुबह-शाम गाय को देखने की सूचना मुख्य चिकित्साधिकारी को फोन के माध्यम से देंगे। इस मामले में शिथिलता अक्षम्य है।

डीएम अपूर्वा दुबे कानपुर के मौजूदा डीएम विशाख जी अय्यर की धर्म पत्नी हैं। हांलाकि, विगत डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में किसी भी विवाद में आईएएस अपूर्वा का नाम नहीं आया। बता दें कि फतेहपुर डीएम आवास में वर्तमान समय 3 गाय पाली जाती हैं।
अपर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एसके तिवारी के मुताबिक, डीएम महोदया की गाय के इलाज के लिए डॉक्टरों की टीम लगाई गई थी। प्रतिदिन के हिसाब से सात डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई, जो सुबह-शाम इलाज करके इसकी जानकारी फोन के माध्यम से देगी। इस सरकारी आदेश का पत्र ऑफिशियल वॉट्सएप ग्रुप में डाला गया था, जिसे किसी कर्मचारी ने वायरल कर दिया।

DM ने जारी किया बयान
डीएम अपूर्वा दुबे ने अपने बयान में कहा, ”इस लेटर के बारे मुझे कोई जानकारी नहीं है। यह लेटर सुनियोजित तरीके से मेरी छवि धूमिल करने के लिए जारी किया गया है। मेरा और मेरे परिवार में किसी ने गाय नहीं पाली। गाय की बीमारी के बारे भी मुझे जानकारी नहीं है। ट्विटर के माध्यम से मामला मेरी संज्ञान में आया। सीवीओ और डिप्टी सीवीओ के खिलाफ निलंबन के लिए पत्र लिखा गया है।”
जिलाधिकारी ने अपने बयान में आगे बताया, पशु चिकित्सा विभाग खुद लेटर खुद जारी करता है और निरस्त करता है। 544 डाक नंबर से पत्र जारी किया गया और अगले ही दिन डाक नंबर 545 संख्या से निरस्त कर दिया गया।