पटनाः बिहार में अक्सर मिड डे मील को लेकर शिकायत आती रही है। कभी गुणवत्ता को लेकर तो कभी किसी चीज को लेकर। इन तमाम चीजों को ठीक करने के लिए शिक्षा विभाग ने नया फॉर्मूला अपनाया है। विभाग ने अहम फैसला लेते हुए निर्देश जारी किया है कि बच्चों को देने से आधा घंटा पहले मध्याह्न भोजन को स्कूल के हेडमास्टर चखेंगे। इसके बाद बच्चों को दिया जाएगा।

यानी उनकी ओर से जब हरी झंडी मिल जाएगी तो बच्चे खाएंगे। वहीं दूसरी ओर बिहार शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों और कर्मियों को भी यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे जब भी स्कूल में निरीक्षण के लिए जाएं तो वहां बन रहे मध्याह्न भोजन को बच्चों के साथ बैठकर खाएं।भोजन चखने के आधे घंटे बाद यदि सब सही रहा तब ही उसे बच्चों की थाली में परोसा जाएगा।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से की गई थी बैठक
बता दें कि पिछले महीने 28 मार्च को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक बैठक हुई थी। इसमें मध्याह्न भोजन को लेकर बातचीत हुई थी। यह निर्देश दिया गया कि विद्यालयों में संचालित मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता और मात्रा को सुनिश्चित किया जाए। इसके लिए अनुश्रवण और निरीक्षण करना जरूरी है। इसी दौरान शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों और कर्मियों को विद्यालय के निरीक्षण के समय बच्चों के लिए बने भोजन को बच्चों के साथ बैठकर करने का निर्देश दिया गया था।

मुख्य बातों को एक नजर में पढ़ें
. मध्याह्न भोजन के तैयार होने के बाद सबसे पहले स्कूल के प्रधानाध्यापक या प्रभारी प्रधानाध्यापक चखेंगे। रसोइया सह सहायक को भी चखना होगा।
. भोजन चखने के बाद उसकी गुणवत्ता और स्वाद के संबंध में पंजी पर टिप्पणी अंकित करना होगा।
. क्रमवार के आधार पर विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष/सचिव/अन्य सदस्यों/अभिभावकों द्वारा भी भोजन चखा जाएगा। टिप्पणी को पंजी में अंकित करना होगा।
. चखना पंजी में प्रतिदिन एमडीएम चखने वाले व्यक्ति का नाम एवं भोजन की गुणवत्ता संबंधित टिप्पणी को अंकित किया जाना अनिवार्य होगा।