लोक आस्था के महापर्व छठ पर हर प्रवासी बिहारी घर वापस आना चाहता है। ऐसा प्रतीत होता है कि मानों हर बिहारी मजदूर हो। चाहे वो दिल्ली-मुंबई में 10 लाख कमाने वाला खास हो या फिर 5 से 10 हज़ार कमाने वाले दिहाड़ी हो। दिल्ली, गुजरात, मुंबई, पंजाब यहां तक कि बंगाल से आने वाली लगभग सभी ट्रेनों में सीट फुल है। जो तस्वीरें सामने आ रही है। वह कोरोना का हाल के दिनों की याद दिला रही है। लोग किसी भी हाल में छठ पर घर पहुंचना चाहते हैं। लोग ट्रेनों में चढ़ने के लिए मारामारी तक कर रहे हैं। सीट नहीं मिलने पर लोग कोच के शौचालय तक में यात्रा कर रहे हैं।

मुख्य सचिव ने ट्रेनों की संख्या बढ़ाने की मांग की
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से दूरभाष पर वार्ता कर राज्य में छठ महापर्व के मद्देनजर विशेष ट्रेनों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया है। मुख्य सचिव ने कहा कि छठ महापर्व बिहार का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इस महापर्व में शामिल होने के लिए बिहार के बाहर रह रहे बिहारवासी बड़ी संख्या में अपने घर बिहार आते हैं। इस वर्ष कोरोना के प्रसार कम होने के कारण बिहार आ रहे लोगों की संख्या में वृद्धि होगी। आने वाले लोगों की बड़ी संख्या को देखते हुए छठ महापर्व के अवसर पर अधिक से अधिक संख्या में स्पेशल ट्रेनों को चलाए जाने की आवश्यकता है ताकि आने वाले लोगों को यात्रा में सहूलियत हो।

पेनाल्टी देकर भी घर आ रहे लोग
छठ महापर्व को लेकर गुजरात, दिल्ली, पंजाब समेत अन्य राज्यों से प्रवासी बिहारवासी टिकट नहीं मिलने की स्थिति में अधिक पेनाल्टी लेकर भी घर आ रहे हैं। दिल्ली से आने वाले यात्री हजार रुपए तक व पंजाब की ओर से आने वाले 900 से लेकर 1200 रुपये तक फाइन देकर पटना, भागलपुर, गया जंक्शन तक की यात्रा कर रहे हैं।

शौचालय तक में यात्रा कर रहे लोग
बता दें कि यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलवे कई पूजा स्पेशल ट्रेन चला रही है। लेकिन इस स्पेशल ट्रेनों में भी टिकट नहीं मिल रही है। कई ट्रेनें में तो नो रूम तक की स्थिति है।ऐसे में बिहार आने वाले यात्री वेटिंग टिकट के अलावा बिना टिकट के भी यात्रा कर रहे है। हालात ये हैं कि जनरल बोगी में पैर रखने तक की जगह नहीं है। रेल यात्री कोच के अलावे शौचालय तक में यात्रा करने को विवश है।