बिहार में आज से लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है। छठ महापर्व को अक्सर महिलाओं का व्रत माना जाता है। लेकिन बिहार में एक ऐसा भी गांव है जहां सिर्फ उस गांव के पुरुष ही करते हैं महापर्व छठ। बिहार के बांका जिले के इस गांव में पुरानी परंपरा का पालन करते हुए आज भी केवल पुरुष वर्ग के लोग ही छठ महाव्रत को करते हैं।

पूर्वजों की परंपरा का करते हैं निर्वहन
बांका जिले में स्थित कटोरिया प्रखंड अंतर्गत पिपराडीह गांव जो कि बांका से 35 किलोमीटर दूर पर स्थित है वहां आज भी पूर्वजों के द्वारा बनाई गई परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। इस इलाके में पुरुष वर्ग पूरी निष्ठा के साथ है और धूमधाम से छठ महाव्रत का व्रत रखते हैं। गांव के सभी परिवारों में सिर्फ पुरुष ही छठ महापर्व का व्रत करते हैं। हालांकि अब कुछ महिलाएं भी यह व्रत करने लगी हैं।पंचायत की आबादी 5000 से अधिक है जिसमें अकेले पिपराडीह गांव की आबादी 1000 से ज्यादा है और इस गांव में दर्जनों की संख्या में पुरुष कई वर्षों से छठ महापर्व का व्रत कर रहे हैं। छठ व्रत करने वालों का यह कहना है कि क्योंकि इस गांव में कई पीढ़ियों से सिर्फ पुरुष ही छठ का व्रत करते आ रहे हैं इसलिए यहां के लोगों का मानना है कि गांव के पुरुष अगर छठ व्रत करते हैं तो उससे गांव का कल्याण हो हर प्रकार के कष्टों का निदान छठी मैया करती है।

गांव की महिलाएं भी करती है संपूर्ण सहयोग
क्योंकि इस गांव में पूर्वजों की परंपरा का निर्वहन करते हुए सिर्फ पुरुष वर्ग ही छत महाभारत को करते हैं इसका यह कतई मतलब नहीं है कि यहां की महिलाएं इस पर्व से दूरी बनाए रखती हैं महिलाएं भी काफी बढ़ चढ़कर इस महा व्रत को करने में पुरुषों का सहयोग करती हैं। इतना ही नहीं दूसरे गांव की महिलाएं भी अध्ययन छठ व्रत करने लगी हैं। लेकिन यहां अभी भी छठ करने वालों में पुरुषों की संख्या बहुत ज्यादा है। हर घर में एक पुरुष छठ पर्व करके काफी खुशी महसूस करता है और उनका यह मानना है कि छठ महापर्व का व्रत करने से इस गांव का कल्याण हमेशा सूर्य देव और छठी मैया के द्वारा किया जाता है।