हर वर्ष प्रदेश में बिजली की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके लिए राज्य के सभी ट्रांसमिशन लाइन की क्षमता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि लोड सेडिंग के निर्बाध रूप से बिजली सप्लाई की व्यवस्था बहाल रहे। योजना के मुताबिक वर्ष 2023-24 में सूबे की पीक डिमांड 7521 मेगावाट होने की संभावना जतायी गयी है। इसको देखते हुए इससे पहले ही उसकी पूर्ति के लिए जरूरी 13540 मेगावाट क्षमता से अधिक का ट्रांसमिशन नेटवर्क तैयार होगा।

तैयार होंगे कई नए ट्रांसमिशन लाइन
अभी पिछले हफ्ते ही केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने सीतामढ़ी के डुमरा में ने पावर ग्रिड का उद्घाटन किया।
ऊर्जा विभाग के मुताबिक इस साल ट्रांसमिशन की कई परियोजनाएं पूरी होंगी। चंदौती (गया), सीतामढ़ी व सहरसा में 400 केवी पावरग्रिड के बाद इससे संबंधित से संबंधित चार डाउन लिंकिंग ट्रांसमिशन लाइन व रक्सौल में 220 केवी ग्रिड उपकेंद्र मार्च 2023 से पहले पूरा होगा।

इसके साथ ही 664.76 करोड़ की लागत से बख्तियारपुर में 400 केवी जीआइएस ग्रिड उपकेंद्र, राज्य योजना से 2149 करोड़ की लागत से सात नये ग्रिड उपकेंद्र, चौसा (बक्सर) स्थित निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट से विद्युत निकासी के लिए 817 करोड़ की लागत से तीन ट्रांसमिशन लाइन सहित कई परियोजनाएं इस साल पूरी होंगी।

ये होगी ट्रांसमिशन लाइन की खासियत
बड़ी आबादी को रोटेशन पर बिजली की सुविधा, लो वोल्टेज से राहत, फॉल्ट की परेशानी दूर करना
पुराने उपकेंद्रों व लाइन पर से बोझ घटाना
बिजली की बढ़ रही डिमांड को पूरा करने के लिए वैकल्पिक सुविधा उपलब्ध कराना