जबलपुर: वैसे तो वो भीख मांग कर गुजारा करता है, लेकिन एक व्यक्ति से पत्नी से प्रेम की अनोखी मिसाल पेश की है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक भीख मांगने वाले दिव्यांग की प्रेम कहानी आजकल चर्चा में है।इस भिखारी ने पत्नी की परेशानी को देखते हुए भीख में मिले पैसों से मोपेड खरीदी है। इससे पहले पति पत्नी एक ट्राइसाइकिल पर भीख मांगते थे।

क्या है पूरा मामला

दिव्यांग संतोष साहू यूं तो छिंदवाड़ा की सड़कों पर भीख मांगता है, लेकिन पत्नी से प्यार के कारण वह आजकल चर्चा में है। संतोष पहले ट्रायसाइकिल पर घूम कर भीख मंगता था लेकिन ऊँचे-नीचे रास्तों पर ट्रायसिकल को धक्का लगाने में पत्नी को परेशानी आती थी। इसलिए उसने चार साल तक पाई-पाई जोड़कर 90 हजार रुपये इकट्‌ठा किए। इसके बाद शनिवार को उन पैसों से उसने एक मोपेड खरीद ली।

दिव्यांग संतोष साहू ने बताया कि वह छिंदवाड़ा की सड़कों पर भीख मांगता है। ट्रायसाइकिल को धक्का लगाने में पत्नी को परेशानी आती थी। इसलिए उसने चार साल तक भीख में मिले पैसों से बचत करके 90 हजार रुपये इकट्‌ठा किए। इसके बाद उन पैसों से उसने मोपेड खरीदी।

भीख मांगकर कितना कमाते हैं पति-पत्नी

दिव्यांग संतोष साहू और उसकी पत्नी मुन्नी अमरवाड़ा के रहने वाले है। संतोष दोनों पैरों से दिव्यांग हैं. छिंदवाड़ा बस स्टैंड पर रोजाना दोनों भीख मांगकर अपना गुजारा करते हैं। उनके पास एक ट्रायसाइकिल भी है। इस पर संतोष बैठा रहता है और पत्नी मुन्नीबाई ट्रायसाइकिल को धक्का लगाकर मंदिर और दरगाह तक जाकर भीख मांगते हैं। संतोष ने बताया कि भीख में रोजाना 300-400 रुपये मिल जाते हैं। इसके अलावा उन्हें लोगों से दोनों टाइम का खाना भी मिल जाता है।

शहर में घाट वाले रास्तों पर संतोष ट्रायसाइकिल नहीं चला पाता था। ऐसे में पत्नी ट्रायसाइकिल को धक्का लगाती थी। पति को ये बात बुरी लगती थी। पत्नी ने भी मोपेड खरीदने के लिए कहा। उसने चार साल पहले मोपेड खरीदने का मन बनाया। धीरे-धीरे रुपये इकट्‌ठा करने शुरू किए। इस तरह उसने 90 हजार रुपए इकट्‌ठा कर लिए।

इससे पहले छिंदवाड़ा की गलियों में बार कोड से पैसे लेने वाला एक भिखारी भी सुर्खियां बटोर चुका है। अब लोगों से पैसे मांगकर दोपहिया वाहन खरीदने वाले भिखारी दंपती भी चर्चा में है।